मध्य प्रदेश

लोकसभा स्पीकर ने कहा- डीएवीवी करे अगुआई, बनेगा पायलेट प्रोजेक्ट

इंदौर. प्रदेश में उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए शासकीय, ऑटोनामस और निजी शिक्षण संस्थाओं को फोरम पर लाएं। यह फोरम विद्यार्थियों की समस्याओं को चिह्नित कर उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच समन्वयय का कार्य करे। देवी अहिल्या विवि पायलेट प्रोजेक्ट बनाकर इसमें संभाग की सभी शैक्षणिक संस्थाओं को शामिल कर कार्य करें। आकलन के बाद इसे पूरे राज्य के लिए लागू किया जा सकता है।

यह परिकल्पना सोमवार को समसामयिक अध्ययन केंद्र की हिंदी साहित्य समिति में शहर में शिक्षा और शैक्षणिक संस्थाओं की बेहतरी और विकास में सहयोग पर आयोजित परिचर्चा में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने शहर के प्रबुद्धजन, शिक्षाविद और अफसरों के समक्ष रखी।

उन्होंने कहा, वर्तमान में शैक्षणिक संस्थाओं के बीच समन्वयय नहीं होने से उच्च शिक्षा में कई कमियां हैं। संस्थाओं को एक-दूसरे के कार्य की जानकारी तक नहीं है। सब अपने अनुसार विद्यार्थियों को तैयार करते हैं। राज्य में 100 तरह के वोकेशनल कोर्स चल रहे हैं। शिक्षा को सामाजिक सरोकारों के साथ जोडऩे की भी जरूरत है। इसके लिए सभी संस्थाओं को एक जगह लाएं और विद्यार्थियों की समस्याओं को समझें। एकीकृत प्रयास करेंगे तो कुछ नया मॉडल बनेगा, जो शिक्षा को और बेहतर बनाएगा।

सुमित्रा महाजन ने सभी संस्थाओं को एकीकृत करने के लिए आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी, कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़, संभागायुक्त संजय दुबे व नरसीमोनजी के प्रदीप चांदे की कमेटी बनाई। कमेटी को सभी से समन्वयय कर 15 दिन में शहर की समस्याओं को लेकर ब्लू प्रिंट और फोकस एरिया तय करने को कहा है। इसके बाद विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाएगी।

राज्यपाल से हो चुकी है चर्चा
महाजन ने कहा, देवी अहिल्या विवि पूरे इंदौर संभाग की शैक्षणिक संस्थाओं के लिए यह कार्य करे। इस संबंध में राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल से भी चर्चा हो चुकी है। उन्होंने ने भी इसे अच्छी पहल बताते हुए कहा, इस मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने पर सहमति जताई है। इससे शैक्षणिक संस्थाओं का सिविलसोसायटी के साथ समन्वयय भी किया जा सकेगा।

आईआईटी-आईआईएम सहयोग को तैयार
शिक्षण संस्थाओं और इनमें पढऩे वालों की शहर विकास में भूमिका और विकास योजनाएं बनाने में सहयोग पर चर्चा के बाद आईआईटी शहर के ट्रैफिक को सुधारने और आईआईएम विकास प्रोजेक्ट का आकलन और डिजाइन करने के साथ ही शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए फेकल्टी डेवलपमेंट का काम करने के लिए तैयार हो गए। बैठक में आईआईटी के निदेशक प्रदीप माथुर, सभापति अजय सिंह नरुका, राजेश अग्रवाल , अरुण भटनागर व मौजूद रहे।

विशेषज्ञों ने यह कहा…
आईआईटी के निदेशक प्रदीप खन्ना : ट्रैफिक समस्या के लिए आईआईटी काम कर रहा है। हम जागरूकता और तकनीकी दोनों पहलुओं पर काम कर सकते हैं।

नरसीमोनजी के निदेशक प्रदीप चांदे : संस्थाओं को शहर की विकास योजनाओं से जोडऩे की जरूरत है। वे अपने कोर्सेस में स्थानीय प्रशासन की गतिविधियों को शामिल करें।

आईआईएम के प्रोफेसर कमल किशोर जैन : स्थानीय प्रशासन चाहेगा तो हम योजनाओं के इंपेक्ट असेसमेंट कर सकते हैं। हमारे विद्यार्थियों को बड़े संस्थानों की कैंपस विजिट भी करवाना होगा।

अर्थशास्त्री गणेश कावडि़या : शहरीकरण के मुद्दों को समझते हुए गांव के लोगों को वहीं रोकना होगा। इसके लिए गांव व शहरों के बीच बन रही विकास की गेप कम की जाए।

वैष्णव विद्यापीठ के पुरुषोत्तम पसारी : वोकेशनल कोर्सेस के लिए गांव में जाने की जरूरत है। गांवों को गोद लेना होगा, वहीं पर बच्चों को प्रशिक्षण भी देने की योजना पर काम करना चाहिए।

वैष्णव विवि के कुलपति उपेन्द्र धर : हम छोटे-छोटे कोर्सेस तैयार कर रहे हैं। शहर के विकास के लिए तकनीकी साल्युशन में मदद कर सकते हैं।

डीएवीवी के जयंत सोनवलकर : विवि में हो रहे अच्छे कार्यों की जानकारी विद्यार्थियों को ही नहीं है। इस पर काम करने की जरूरत है। जिससे विकास के साथ समन्वयय हो सके।

सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी : शहर के टेलेंट का सही प्लेसमेंट हो, तभी कुछ बात बनेगी।

एक्रोपोलिस के अशोक सोजतिया : संस्थाएं छोटी-छोटी समस्याओं की जिम्मेदारी लेकर काम करें। हमने कुपोषण दूर करने के लिए गांवों में काम शुरू किया है। 30 बच्चों को इससे मुक्ति दिलाई है।

जीएसआईटीएस के डायरेक्टर राकेश सक्सेना : अंडर ग्राउंड केबलिंग में हमारी विशेषज्ञता है। नगर निगम चाहे तो हमारा सहयोग ले सकता है।

आरआईएस दिल्ली के सचिन चतुर्वेदी : शहर को विकास के लिए तकनीकी, प्रबंधन और जागरूकता के स्तर पर सहयोग की जरूरत है। संस्थाएं इसके लिए आगे आएं।

ये बोले जिम्मेदार…

संभागायुक्त संजय दुबे : संस्थाओं का सहयोग लेने में दिक्कत नहीं है। अफसर के ट्रांसफर या संस्था के निदेशक बदलने के साथ ही प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। इसके लिए एक व्यक्ति को जिम्मेदारी लेना होगी।

कलेक्टर निशांत वरवड़े : एक मैकेनिज्म बनाना होगा। हमारे प्रयास सीमित है। हमारे लिए कार्यों को पेपर पर लेना जरूरी होता है। इसके लिए एक जिम्मेदारी तय करना होगी।

निगामयुक्त मनीष सिंह : हमारे स्मार्ट एजुकेशन प्रोजेक्ट में आईआईएम सहयोग कर सकता है। ट्रैफिक व वेस्ट मैनेजमेंट पर तकनीकी सहायता आईआईटी दे सकता है।

आईडीए सीईओ गौतमसिंह : जमीन अधिग्रहण की समस्या हल करने के लिए कोई मॉडल बनाया जाए।

यह सुझाव भी मिले…
< शहर की शैक्षणिक संस्थाएं नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ रैंकिंग व एनजीओ से जुड़ें। < सामाजिक विज्ञान शोध केंद्र बने। <आईडीए बाहर से आने वाले विद्यार्थियों के लिए बड़ा होस्टल बनाए। < चिकित्सा के क्षेत्र में संस्थाएं काम करें। <समस्याओं के लिए एक संस्थागत फोरम बने। < रोजगार के लिए इंडस्ट्रीज और एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के बीच समन्वयय हो। <लोक परिवहन बढ़ाने, चौराहे सुधारे व ट्रैफिक को लेकर लोगों में जागरूकता पर काम करने की जरूरत है। < स्वच्छता में नंबर वन होने के बाद भी ग्रीन और क्लीन सिटी प्रोग्राम को और बेहतर करने की जरूरत है। इससे प्रदूषण पर भी नियंत्रण होगा। < शहर के पास राजस्व के लिए अच्छे संसाधन हैं, जिनका बेहतर प्रबंधन करके राशि जुटाई जा सकती है। बचत को भी देखना होगा। < जल स्तर नीचे जा रहा है। जल स्त्रोत वाटर रिचार्जिंग के लिए अभियान की कमी है। < विकास के लिए कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी यानी सीएसआर के तहत उद्योगों का सहयोग लें।

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