मध्य प्रदेश

ASHTA POLITICS : कांग्रेस का गढ आष्टा होगा भाजपा के लिए चुनौती

– पेयजल और अन्य सुविधाएं बनेगी मुददा
जोरावर सिंह, सीहोर
सीहोर। प्रदेश में भाजपा के गढ कहे जाने वाले जिला सीहोर में आष्टा दूसरी बडी नगर पालिका है। विधान सभा चुनावों में यह क्षेत्र भाजपा को चुनता है पर निकाय चुनावों में ज्यादातर कमान कांग्रेस के हाथों में रही है। यह नगर सीहोर में जिला मुख्यालय के बाद सियासत के तौर पर मजबूत माना जाता है। यहां निकाय चुनावों में भाजपा को अपनी जीत का इंतजार रहेगा तो वहीं कांग्रेस के लिए अपने गढ को बरकरार रखने की चुनौती।
गौरतलब है कि यदि आष्टा नगर की स्थिति को समझा जाए तो यह पार्वती नदी के तट पर बसा हुआ नगर है और इन्दौर भोपाल मार्ग पर स्थित है। यह सियासी तौर पर मजबूत नगर है, इस नगर से जहां कांग्रेस के जिलाध्यक्ष लंबे अर्से तक रहे है, यूं कहे कि कांग्रेस की सियासत का केन्द्र रहा तो वहीं भाजपा के भी तीन तीन पूर्व जिला अध्यक्ष यहां से आते है। इसलिए भाजपा की सियासत भी यहां पर मजबूत ही मानी जाती है। अब एक बार पिफर निकाय चुनावों की तैयारी है।
आष्टा नगर की स्थिति
आष्टा एक खूबसूरत शहर है, जिसमें अस्पतालों, स्कूलों, सिनेमा हॉल और सड़क परिवहन की सुविधाएँ है। यह अपनी अनाज मंडी के लिए जाना जाता है, जहाँ सोयाबीन भी बिकता है। यहाँ एक पहाड़ पर जैन मंदिर है, जिसे स्थानीय लोग किला बुलाते हैं। इसमें प्रमुख प्रतिमा भगवान नेमिनाथ जी की है। एक तालाब के पास हनुमान जी का मंदिर है जो खेड़ापति मंदिर मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही आष्टा नगर में पार्वती और पपनाश नदी का संगम स्थल भी है।
करीब 50 हजार मतदाता
आष्टा नगर में अब करीब 50 हजार से अधिक मतदाता है, जो निकाय चुनावों में अपनी निर्णायक भूमिका निभाएंगे, पिछली नगर पालिका चुनावों में यहां भाजपा और कांग्रेस में मुख्य मुकाबला था, लेकिन ऐन वक्त पर एक निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव में दावेदारी जताकर इसे त्रिकोणीय बना दिया था। इस बार सियासत बदली है। युवा नेताओं और कार्यकर्ताओं में कापफी जोश दिखाई दे रहा है। यहां निकाय में 15 वार्ड थे पर अब वार्डों की संख्या बढ गई है। इसका असर आगामी चुनावों में देखने को मिलेगा।
अब क्या होंगे मुददे
सियासत बदल रही है, मतदाताओं में भी जागरूकता बढी है। ऐसे में चुनावी मुददों में भी बदलाव हो रहा है। आष्टा नगर में पेयजल के लिए पार्वती नदी से ही पानी की सप्लाई की जाती है। गर्मी के दिनों में पार्वती नदी पर बने स्टाप डेम के सूखने के बाद पानी की परेशानी होती है। यह प्रमुख मुददा होगा। यहां पर प्रत्येक बुधवार को हाट आयोजित होता है। इसमें अव्यवस्थाएं आमजनों की परेशानी बढाती है, जब से नया हाइवे निकला है तब से बरसात के दिनों में यह नगर बाढ की चपेट में रहता है। इसका नुकसान आमजनों से लेकर व्यापारियों को उठाना पडता है। यह भी प्रमुख मुददा बनेगा। यह नगर इन्दौर भोपाल मार्ग पर स्थित होने के कारण से सडक दुर्घटनाओं में घायलों को उचित उपचार नहीं मिलना भी यहां का स्थानीय मुददा रहा है।
आष्टा की सियासी जमीन
सीहोर जिले में आष्टा की सियासी जमीन काफी मजबूत मानी जाती है, यहां भाजपा और कांग्रेस के कददावर नेताओं की अगुवाई है। इसके साथ ही एक स्थानीय पार्टी प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी भी है, जो निकाय चुनावों में संभावनाएं तलाशती रहती है। दोनों ही प्रमुख दलों के युवा नेता काफी सक्रिय रहते है, यहां सामान्य, ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग के कई युवा नेता सियासी दलों में मुख्य भूमिका में है। नगर की मजबूत सियासी जमीन पर निकाय चुनावों में कांग्रेस का दबदबा बना रहा है। अब इस बार सियासत क्या रूख बदलेगी यह तो वक्त बदलेगी।
टिकिट वितरण के बाद बदलेगी सियासत
नगर पालिका आष्टा में निकाय चुनाव के लिए अध्यक्ष पद पिछडा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हुआ है, अभी तक कांग्रेस और भाजपा में चार चार भावी उम्मीदवार अपनी अपनी पार्टी से टिकिट की दावेदारी प्रस्तुत कर रहे है। टिकिट वितरण के बाद सियासत बदलेगी। मुख्य मुकाबला किसके बीच होगा, यह भी टिकिट वितरण के बाद ही सामने आ सकेगा, फिलहाल वार्डो से लेकर अध्यक्ष पद के भावी उम्मीदवार सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय नजर आ रहे है।

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