मध्य प्रदेश

भोपाल गैंगरेप : पुलिस ने माना FIR कराने भटकती रही पीड़ि‍ता

भोपाल। कोचिंग छात्रा शक्ति के साथ सामूहिक दुष्कृत्य मामले में अदालत में प्रस्तुत 200 पेज के चालान में एसआईटी ने यह तथ्य भी शामिल किया है कि पीड़िता को एफआईआर दर्ज करने के पहले पुलिस अधिकारियों द्वारा करीब दस घंटे तक घटनास्थल व थाने के चक्कर लगवाए गए। इसके बाद देर शाम को एफआईआर लिखी गई।

सूत्रों के मुताबिक चालान में एसआईटी ने पीड़िता के घटना के दूसरे दिन सबसे पहले सुबह दस बजे पुलिस थाने पहुंचने का जिक्र किया है। इसके बाद से वह जीआरपी, हबीबगंज और महाराणा प्रताप नगर पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों के साथ थानों-घटनास्थल के चक्कर लगाती रही।

शाम को छह बजे जीआरपी थाने में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हुई जो देर शाम आठ बजकर 18 मिनट पर लिखी गई। इस प्रकार पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया कि करीब दस घंटे में पीड़िता अपनेसाथ हुई घटना की एफआईआर दर्ज करा सकी।

साक्ष्यों को सील बंद पेश किया गया

सूत्र बताते हैं कि एसआईटी ने पीड़िता के घटना से पहले से लेकर दूसरे दिन पुलिस के पास पहुंचने तक के घटनाक्रम को भी चालान में शामिल किया है। इसमें कोचिंग में कब गई, वहां से कब घर के लिए निकली, किस ट्रेन से वह घर जाने वाली थी, इस सभी तथ्यों को आपस में जोड़ते हुए चालान में घटनाक्रम का नक्शा बनाया है।

घटनास्थल से मिले भौतिक और रसायनिक साक्ष्यों की डीएनए व एफएसएल रिपोर्ट सील बंद लिफाफों में चालान के साथ पेश की गईं। इन्हें अदालत के मालखाने में जमा करा दिया गया है। प्रकरण की सुनवाई के दौरान संबंधित गवाहों व आरोपियों से जुड़े सीलबंद साक्ष्यों को अदालत में ही खोला जाएगा।

काल डिटेल भी चालान में

सूत्रों ने बताया कि शक्तिकांड के चालान में एसआईटी ने काल डिटेल भी शामिल की है। इसमें पीड़िता द्वारा घटना के बाद अपनी मां से बात करने और शक्ति, उसकी मां व पिता द्वारा किए गए काल की डिटेल है।

डीजे सुनवाई के लिए जज अधिकृत करेंगे

सामूहिक दुष्कृत्य के इस मामले का चालान गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट शालू सिरोही की अदालत में पेश हुआ है, जो कि जल्द ही कमिट होकर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र शुक्ला की अदालत में जाएगा। उसके बाद ही जिला न्यायाधीश तय करेंगे की यह मामला स्वयं या किसी अन्य एडीजे कोर्ट में सुनवाई के लिए भेजा जाए। इस मामले में डे-टू-डे फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की जाएगी। हर सुनवाई में मामले के जांच अधिकारी मौजूद रहेंगे।

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