मध्य प्रदेश

नई शिक्षा नीति के फलस्वरुप जब हमारा विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ेगा तभी हम शिक्षकों की भूमिका एवं जिम्मेदारी सफल मानी जा सकेगी – प्रो. आशा शुक्ला

मध्यप्रदेश। डॉ. बी. आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय ,महू एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वाधान में एक वर्षीय अकादमी कार्य के अंतर्गत “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 :वाणिज्य शिक्षकों की भूमिका “विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया, कार्यक्रम का आरंभ भारतीय शिक्षण मंडल से पधारी डॉ. वैशाली वाईकर ने अपने धेय वाक्य से प्रारंभ किया तत्पश्चात मदन खत्री अखिल भारतीय शालेय प्रकल्प सह प्रमुख एवं पालक अधिकारी ,मध्य क्षेत्र द्वारा सारस्वत अतिथि आशीर्वचन दिया गया उन्होंने विजय पथ पर बढ़ते जा रहे हैं, विघ्न बाधाओं को पीछे छोड़ कर पंक्तियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अपना कर आगे बढ़ने की बात कही । साथ ही नवीन शिक्षा नीति को लागू करने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, जिसे उन्हें निभाना होगा।


स्वागत एवं प्रस्तावना वक्तव्य डॉ .आर के शुक्ला प्रोफेसर, वाणिज्य अध्ययन शाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया उन्होंने कहा कि नवीन शिक्षा नीति में स्टार्टअप, कौशल विकास, उद्यमिता विकास, मल्टीडिसीप्लिनरी एडमिशन, इनक्यूबेशन सेंटर प्रारंभ किए जाने की बात नई शिक्षा नीति में की गई है , जिसे हम शिक्षकों कों यथार्थ करना है। आउटकम बेस्ड लर्निंग , इंडस्ट्रियल बेस्ड स्टडी एवं क्रेडिट को ट्रांसफर की बात कही गई है , वह विद्यार्थियों के हित में है जिससे कई विद्यार्थीयो को आगामी भविष्य में सीधे-सीधे फायदा मिलता दिखाई देता है बीज वक्तव्य प्रो.उमेश होलानी रेक्टर, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्य प्रदेश द्वारा दिया गया lउन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि प्राचीन भारत के गौरव को पुनः स्थापित करने हेतु शिक्षा नीति में शोध को विशेष महत्व दिया है वाणिज्य विषय में करारोपण के सिद्धांत मनुस्मृति मे मिलते है। वाणिज्य के सिद्धांतों को यथार्थ में समझने के लिए भगवत गीता और हमारे प्राचीन भारतीय ग्रंथों के सिद्धांतों को विषय मे स्थान देना होगा । शोध के क्षेत्र में वाणिज्य के शिक्षकों को हमारे भारतीय ग्रंथों को पढ़ना होगा एवं उस पर विचार कर शोधार्थियों को शोध कार्य करवाना चाहिए जो आगामी भविष्य में लाभप्रद होगा। बैंकिंग बीमा अर्थशास्त्र प्रबंधन को क्रेडिट बेस्ट चॉइस सिस्टम से जोड़ना वर्तमान में आवश्यक हो गया है।वोकेशनल कोर्स को वाणिज्य के विद्यार्थियों के लिए तैयार करना होंगे जिसमें शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उद्यमिता के क्षेत्र को भारतीय संस्कृति के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय वेबीनार के विशिष्ट अतिथि के रुप में आमंत्रित प्रो. प्रशांत कुमार प्रोफेसर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में 5+3+3+4 की धारणा अत्यंत महत्वपूर्ण है जो आगामी भविष्य में श्रेष्ठ एवं स्किल बेस्ड विद्यार्थियों का निर्माण पर जोर देती हैं। शोध कार्य ,मल्टी डिसिप्लिन ,इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एवं वाणिज्य के क्षेत्र में नए प्रयोग पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसके परिणाम सकारात्मक रूप से निकट भविष्य में दिखाई देंगे।
अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ. किन्नरी ठक्कर विभागाध्यक्ष, वाणिज्य विभाग मुंबई विश्वविद्यालय मुंबई ने अवगत कराया कि नई शिक्षा नीति में पोस्ट ग्रेजुएशन टीचिंग और शोध कार्य में विशेष रूप से वर्तमान दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए नीति निर्धारित की गई है जिससे भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार विद्यार्थियों को तैयार किया जा सके यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है ,जिस पर हम सभी वाणिज्य शिक्षकों को विचार करना चाहिए। हमें हाई लेवल करिकुलम डिजाइन कर उसे लागू करना होगा, कई प्रकार के शॉर्ट टर्म कोर्स प्रारंभ करना होंगे, जो रोजगार एवं स्वरोजगार देने में सहायक हो सके।
अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ. कामिनी शाह व्यवसायिक अध्यापन विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय आनंद गुजरात ने प्रतिभागियों को नई शिक्षा नीति में स्टूडेंट सेंट्रिक स्टडी पर विशेष जोर दिया गया है। ट्रेनिंग, इंटर्नशिप पर विशेष ध्यान देना होगा।जिसे हमें अपने स्तर पर विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य हेतु अमल में लाना होगा। नेक एक्रीडिटेशन को ध्यान में रखते हुए हमें सभी बिंदुओं पर कार्य करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में प्रो. परिमल व्यास कुलपति, महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय बड़ोदरा द्वारा बताया गया कि नई शिक्षा नीति में बहुत से क्षेत्रों को नया जोड़ा गया है इसी तारतम्य में वाणिज्य के क्षेत्र में भी कई नए प्रयोग किए जा सकते हैं जो कि वाणिज्य के शिक्षकों को करना होंगे , वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप सिलेबस में इंडस्ट्रियल इंटरप्रिंनर तैयार करने होंगे तभी नई शिक्षा नीति को धरातल पर लाया जा सकेगा। वर्तमान चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए वाणिज्य के क्षेत्र में व्यापारिक शोध कार्य को बढ़ावा देना चाहिए।हमें मल्टीडिसीप्लिनरी सिलेबस तैयार करने होंगे साथ ही साथ ऑनलाइन ऑफलाइन मोड में पढ़ाई कराने के लिए नई-नई तकनीकों को लागू करना होगा ।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन के लिए प्रो. आशा शुक्ला कुलपति, डॉ .बी .आर .अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू ने अपने उद्बोधन में कहा किनई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मल्टी एंट्री और मल्टी एग्जिट नीति पर प्रदेश के विश्वविद्यालय साथ ही साथ राष्ट्रीय स्तर पर सभी विश्वविद्यालयों को मिलकर यूजीसी के साथ नीति निर्धारण करना होगी। क्रेडिट बैंक सिस्टम को विश्वविद्यालय स्तर पर विकसित करना होगा। प्रत्येक विश्वविद्यालय को अपनी यूनिक पाठ्यक्रम को दूसरे विश्वविद्यालय के साथ शेयर करना चाहिए, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर विद्यार्थियों को उसका लाभ प्राप्त हो सके। इस प्रकार कि पहल से
राष्ट्रीय स्तर पर सभी विश्वविद्यालयों में सामंजस्य के साथ शिक्षा नीति को व्यवस्थित रूप से लागू किया जा सकेगा ऐसा मेरा विचार है। नई शिक्षा नीति के फलस्वरुप जब हमारा विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ेगा तभी हम शिक्षकों की भूमिका एवं जिम्मेदारी सफल मानी जा सकेगी। राष्ट्र की नीव मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसे हमें सभी को सामंजस्य से पूर्ण करना होगा।
डॉ भरत भाटी प्रबंध विभाग, डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में डॉ. वैशाली वाईकर (भारतीय शिक्षण मंडल )द्वारा कल्याण मंत्र लिया गया । कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. विशाल पुरोहित (वाणिज्य विभाग, डॉ. बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू) द्वारा किया गयाl

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