मध्य प्रदेश

फर्जी मरीजों की आइडी से दौड़ रही 108 और जननी एंबुलेंस

– राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों अचानक निरीक्षण करने के बाद आई जांच रिपोर्ट में हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा।
– स्वास्थ विभाग की जांच की तो न मरीज मिले न ही मरीजों की जानकारी।
भोपाल। बेहतर उपचार के इंतजार में ए बुलेंस का इंतजार कर रहे मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। भोपाल और सीहोर जिले में 108 और जननी ए बुलेंस बिना मरीजों के दौड़ भर रही है। यह खुलासा तब हुआ जब स्वास्थ विभाग के अमले ने निरीक्षण किया और जांच में पता चला की फर्जी मरीजों की आइडी लेकर ही जिले में ए बुलेंस सैकड़ों किलोमीटर दौड़ रही है। इससे पहले 108 वाहन में फर्जी मरीजों का उपचार करने के मामले सामने आ चुके हैं।
108 ए बुलेंस और जननी एक्सप्रेस के भरोसे स्वास्थ सेवाएं चल हंै, उन के हाल बेहाल हैं। मरीजों को इन की सुविधा मिले न मिले लेकिन, अधिकारी कर्मचारी अपना हित साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चाहे मरीज ए बुलेंस के इंतजार में तड़पते ही क्यों न रहे। क्यों कि एंबुलेंस के कर्मचारी खुद ही फर्जी आइडी लेकर सडक़ों पर दौड़ते रहते है, इस बात का खुलासा एनएचएम के अधिकारियों के राज्य स्तरीय दल ने मौके पर ही पहुंचकर निरीक्षण के दौरान कई अनियामितताएं पाई।
बैरागढ़ की जननी सीहोर में
जिगित्सा कंपनी की ए बुलेंस के हालात यह है, कि ए बुलेंस अपनी लोकेशनों को छोडक़र अन्य जगहों पर मिल रही है। ऐसा ही एक मामला ए बुलेंस एमपी-37 सी-5271 का सामने आया। सीहोर मंडी थानें के पास श्यामपुर रोड पर जब राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के अधिकारियों ने निरीक्षण किया तो पाया गया कि उक्त वाहन केस आइडी पर ड्रॉप बेक केस पर होना बताया गया। लेकिन जब मरीज के पते व सिविल अस्पताल के दस्तावेजों का सत्यापन किया गया तो मरीज को ड्रॉप करने वाला केस और हितग्राही फर्जी पाया गया। फर्जी मरीज को छोडऩे ए बुलेंस 120 किलो मीटर सडक़ों पर दौड़ती रही।
बिना मरजों के ही दौड़ती ए बुलेंस
स्वास्थ सेवाएं देने वाली ए बुलेंस के हालात यह है कि अधिकारियों से लेकर कर्मचारी तक अपनी मनमानी कर रहे हंै। अपने नीजी स्वार्थ के चलते ए बुलेंसों का परिचालन अपने ही तरीके से कर रहे हंै। सीहोर के मरीज को अस्पताल पहुंचाने श्यामपुर लोकेशन ए बुलेंस को केस दे दिया। तीस किलो मीटर की दूरी तय कर मरीज को अस्पताल भर्ती किया गया, जब कि जीपीएस में एंबुलेंस को ट्रेस करने के बाद नजदीकि लोकेशन की ए बुलेंस को मौके पर भेजा जाता है, ताकि मरीज को समय पर उपचार मिल सके।

फर्जी मरीज के लेकर 160 किलो मीटर दौडी ए बुलेंस
जिला मु यालय से 30 किलो मीटर दूर खडी ए बुलेंस को केस आइडी देकर मरीज को सेवा देने सीहोर भेजा गया। 106 किलो मीटर दौडाने के बाद ए बुलेंस को ऑफ रोड कर दिया। जब ए बुलेंस द्वारा छोड़े गए मरीज को लेकर स्टाफ से निरीक्षण दल ने जानकारी ली तो, पता चला की मरीज और पता ही पूरी तरह से फर्जी निकला।
इधर 108 के भी हालात खराब
गंभीर मरीजों को समय पर उपचार देने जिले में तैनाए 108 एंबुलेंस भी लंबे समय से बीमार पड़ी हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान पाया कि जिले की अधिकतर 108 ए बुलेंस में बैटरी खराब होना, मेंटनेंस कराने सहित कई उपकरणों में खराबी के साथ कमियां पाई गई। इतना ही नहीं 108 ए बुलेस में पदस्थ ईएमटी उपकराणों को ऑपरेट करने में प्रशिक्षित ही नहीं है। एसे में अगर गंभीर मरीज को मौके पर ही उपचार न मिले तो जान जाना तय है।
बिल बढ़ाने स्टाफ का खेल
जननी ए बुलेंस के लिए अधिकतर वाहन लीज पर लिए गए है। इन वाहनों चालक जिगित्सा कंपनी के अधिकारी कर्मचारियों से मिलकर और सांठ गांठ कर ए बुलेंस का बिल बढ़ाते है। इस के लिए ए बुलेंस का स्टाफ ही फर्जी मरीज बन फोन कर अपनी पसंद के पते की आइडी ले लेते है। उक्त आइडी से ए बुलेंस का स्टाफ बिना मरीज के ही खाली एंबुलेंस सैकड़ों किलोमीटर दौड़ाते रहते है, इस बात का खुलासा निरीक्षण के दौरान हुआ।
इनका कहाना है
इसी माह 5 और 6 जनवरी को स्वास्थ सेवाओं का निरीक्षण किया गया था। जननी ए बुलेंस फर्जी मरीजों की आइडी लेकर दौड़ रही थी। वहीं 108 ए बुलेंस में भी कमियां पाई गई है। निरीक्षण के जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी गई है।
– महेंद्र जैन, एनएचएम सलाहकार, भोपाल

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