डेंगू के प्रकोप बढ़ने के क्या कारण हैं? जानें लक्षण और बचाव के उपाय
Dengue Surge: मच्छर से होने वाले वायरल संक्रमण डेंगू के नए मामलों में हाल में काफी बढ़ोतरी देखी गई है. डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं. इनमें से एक मुख्य कारण मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं. अत्यधिक वर्षा, साथ ही कंटेनरों, बर्तनों और फेंकी गई वस्तुओं में जमा पानी, एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस नाम के मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बनाता है, जो डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की प्रजातियां हैं
मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थियों के अलावा, शहरीकरण और वनों की कटाई के कारण भी शहरों में मच्छरों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो डेंगू की समस्या को और बढ़ाता है. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन ने डेंगू के प्रकोप में भूमिका निभाई है. बढ़ते तापमान और बदले हुए वर्षा पैटर्न ने मच्छरों के प्रजनन के मौसम को बढ़ा दिया है, जिससे डेंगू का प्रकोप और बढ़ गया है. इन पर्यावरणीय कारकों ने, शहरीकरण और वैश्वीकरण के तेजी से प्रसार के साथ मिलकर, डेंगू को दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना दिया है.
आखिर डेंगू से बचाव के क्या हैं उपाय?
डेंगू से खुद को बचाने के लिए उपाय करना बहुत ज़रूरी है. इसके लिए मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करना सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके तहत आसपास के कंटेनरों में जमा पानी को खाली करना, नालियों की सफाई करना और पानी जमा होने वाली वस्तुओं को फेंकना शामिल है. इसके अलावा, मच्छरदानी का उपयोग करना, पूरे शरीर को ढंककर डेंगू के प्रकोप से बचा जा सकता है.
इसके अलावा, डेंगू से निपटने के लिए इसकी शुरुआती पहचान और इलाज जरूरी है. यदि बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी और दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेना होता है. प्रारंभिक दौर में इलाज के शुरू होने से गंभीर नुकसान से बचा जा सकता है.
डेंगू के मामलों में हाल ही में हुई बढ़ोतरी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है. प्रकोप को बढ़ावा देने वाले कारकों को समझकर और उसे खत्म करने के उपाय करके आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं. साथ ही ऐसा कर आप इस बीमारी को रोकने में भी मदद कर सकते हैं.
- डेंगू बुखार के लक्षण
- अचानक तेज बुखार
- गंभीर सिरदर्द
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
- आंखों के पीछे दर्द
- जी मिचलाना
- उल्टी करना
- खुजली
- थकान
आमतौर पर, मजबूत इम्यून सिस्टम वाला शख्स डेंगू बुखार से एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर स्वस्थ हो जाता है. वहीं, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीज को गंभीर हालातों से गुजरना पड़ सकता है. कभी-कभी ये जानलेवा भी हो सकता है.
डेंगू की पहचान कैसे की जाती है?
डॉक्टर डेंगू का इलाज करने के लिए अलग-अलग तरह के टेस्ट कराते हैं. इनमें डेंगू NS1 एंटीजन टेस्ट सबसे ज्यादा प्रचलित है. इसमें डेंगू वायरस के NS1 अंश की जांच की जाती है. मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डेंगू के लक्षणों के पहले सप्ताह के दौरान ये टेस्ट बहुत जरूरी है.
इसके अलावा, एंटीबॉडी टेस्ट भी कराकर डेंगू की पहचान की जा सकती है. इस टेस्ट के जरिए कुछ एंटीबॉडीज की तलाश की जाती है, जो डेंगू बुखार होने पर शरीर खुद बनाता है. आमतौर पर लक्षणों के तीन से पांच दिन बाद पॉजिटिव होता है और यह कुछ हफ्तों तक ऐसा रह सकता है.