धर्म एवं ज्योतिष

भगवान राम के आलौकिक ये कार्य

हिंदू धर्म में भगवान राम को विष्णु का अवतार माना गया है। इनके बारे में कई ग्रंथ लिखे गए. रामचरितमानस में भगवान राम की महिमा को जो वर्णन मिलता है। वह सभी के दिलों को छू लेता है। क्‍या आप जानते हैं विष्णु जी के सातवें अवतार श्री राम ने मर्यादा की स्थापना और अपनी मां कैकेयी की इच्‍छापूर्ति के लिए राजगद्दी छोड़ दी थी और वनवास स्वीकार किया था। इसलिए ही श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।
श्री राम के जीवनकाल को महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत महाकाव्‍य रामयण में वर्णित किया है। राम पर तुलसीदास ने भी रामचरितमानस रचा है। राम के अलौकिक कार्यों को वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्‍य में संस्कृत में वर्णित किया, जिसे तुलसीदासजी ने रामचरितमानस नाम से अवधि में रचा।
कहा जाता है कि भगवान राम का जन्म मनु के 10 पुत्रों में से एक पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था।
चैत्र नवमी को भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसी उपलक्ष्य में चैत्र नवमी को रामनवमी के रूप में भी जाना जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि माता सीता की रावण से रक्षा करने जाते समय रास्‍ते में आए समुद्र को पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया था।
माना जाता है कि भगवान राम ने रावण को युद्ध में परास्‍त करने के बाद रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया था।
पुराणों में कहा गया है कि माता कैकेयी के कहे अनुसार वनवास जाते समय भगवान राम की आयु 27 वर्ष थी.
राम-रावण के युद्ध के समय इंद्र देवता ने श्री राम के लिए दिव्य रथ भेजा था। इसी में बैठकर भगवान राम ने रावण का वध किया था।
राम-रावण का युद्ध खत्म न होने पर अगस्त्य मुनि ने राम से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने को कहा था।
अरण्‍य नामक राजा ने रावण को श्राप दिया था कि मेरे वंश से उत्पन्न युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। इन्ही के वंश में श्री राम ने जन्म लिया था। यह भी कहा जाता है कि गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी अहिल्‍या को पत्थर बनने का श्राप दिया था. इस श्राप से उन्हें भगवान राम ने ही मुक्ति दिलाई थी।

Related Articles

Back to top button