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अब प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी बढ़वा सकेंगे पेंशन, PF फंड से मिलेगा लाभ

नई दिल्ली। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट के हाल में आए एक आदेश के मुताबिक अब ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को उनके पीएफ फंड से मासिक पेंशन प्राप्त करने विकल्प दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को निर्देश दिया है कि वे सब्सक्राइबर्स को सरकारी कर्मचारियों की तरह पेंशन प्राप्त करने की अनुमति दें। हालांकि इस सुविधा का फायदा सिर्फ उन्हें ही मिलेगा जो साल 2014 से पहले के ईपीएफ सब्सक्राइबर्स हैं।

पेंशन स्कीम के बारे में लोगों को कम है जानकारी: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले अधिकांश कर्मचारी यह बात नहीं जानते हैं कि ईपीएफओ ने साल 1995 में एक पेंशन योजना की शुरुआत की थी। इस योजना में ईपीएफओ ने तब कहा था कि नियोक्ता को अपने कर्मचारियों को उनके मूल वेतन के 8.33 फीसदी या 541 रुपये मासिक तौर पर या फिर इनमें से जो भी कम हो कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में देने होंगे। इससे कर्मचारी को इस योजना में शामिल होने के वर्षों के आधार पर सीमित मात्रा में पेंशन पाने का अधिकार मिला था।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला: उस समय ईपीएफओ ने यह भी कहा था कि अगर कोई कर्मचारी अधिक पेंशन चाहता है तो वह अपने मूल बेसिक वेतन के 8.33 फीसदी योगदान को बढ़ा सकता है। लेकिन ईपीएफओ को यह सूचित करना जरूरी था कि कोई कर्मचारी ईपीएस में 541 रुपये प्रति महीने से ज्यादा योगदान देना चाहता है।

अधिकांश लोगों को इस प्रावधान की जानकारी नहीं है इसलिए जब कुछ कर्मचारियों ने रिटायरमेंट के बाद ईपीएफओ से अपने ईपीएफ योगदान को ईपीएस में बदलने के लिए कहा तो उनसे कहा गया कि ऐसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह काम योजना में शामिल होने के छह महीने के भीतर कर लिया जाना चाहिए।

जब पेंशनर्स ने इस संबंध मे अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि नोटिफिकेशन में छह महीने की समय सीमा का उल्लेख नहीं किया गया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने सब्सक्राइबर्स के हित में फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कहा कि यह एक लाभकारी प्रावधान है और ईपीएफओ को अपने ग्राहकों को इसका लाभ लेने की अनुमति देनी चाहिए।

कैसे बढ़वा सकते हैं पेशन: सुप्रीम कोर्ट का निर्देश ईपीएफओ के लिए बाध्यकारी है और 1 सितंबर, 2014 से पहले जो भी ईपीएफओ से जुड़ा है, वह इसका फायदा ले सकता है। यानि कि जो लोग 1 सितंबर, 2014 के बाद ईपीएफओ से जुड़े हैं और उनका वेतन 15,000 से अधिक है तो वे पेंशन के हकदार नहीं हैं।

हालांकि 15,000 से कम के वेतन पर नौकरी शुरू करने वाले लोग ईपीएस में योगदान कर सकते हैं। पेंशन के लिए पात्र कर्मचारी पेंशन बढ़वाने के लिए अपनी कंपनी के जरिये ईपीएफओ के पास आवेदन भिजवा सकते हैं।

आपकी सैलरी में कितनी है EPS की हिस्सेदारी: एंप्लॉयी प्रविडेंट फंड (ईपीएफ) के नियमों के तहत एंप्लॉयर को एंप्लॉयी की बेसिक सैलरी का 12 फीसद ईपीएफ में रखना होता है।

इस 12 फीसद रकम का 8.33 फीसद हिस्सा एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में चला जाता है। वर्तमान में ईपीएफ पर प्रति माह 15,000 रुपये सैलरी की सीमा तय है। इसलिए, अभी ईपीएस में हर माह अधिकतम 1,250 रु पये का योगदान ही हो सकता है।

किन्हें मिलता है फायदा:

कर्मचारी की उम्र 58 साल पूरा होने के बाद पेंशन शुरू हो जाती है। पेंशन की रकम इस बात पर निर्भर करती है कि कर्मचारी ने कितने साल वर्ष नौकरी की है और उसकी बेसिक सैलरी कितनी थी।
अगर सर्विस के दौरान कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसकी पत्नी को जीवनभर या जब तक वह दूसरी शादी नहीं करती है, पेंशन मिलती रहेगी। साथ ही, दो बच्चों को पेंशन की 25 फीसद रकम मिलेगी।
अगर पत्नी की भी मौत हो चुकी है तो इस सूरत में कर्मचारी के देहांत के बाद उसके दो बच्चों को 25 वर्ष की उम्र तक पेंशन राशि का 75 फीसद रकम मिलती रहेगी। अगर दो से ज्यादा बच्चे हैं तो सबसे छोटे बच्चे के 25 वर्ष की उम्र पूरी करने तक यह सुविधा जारी रहेगी।
अगर कोई कर्मचारी सेवा के दौरान स्थाई रूप से पूरी तरह विकलांग हो जाए तो उसे जीवनभर पूरी पेंशन मिलेगी।

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