व्यवसाय

इस टेलिकॉम कंपनी का वजूद खत्म, चल रही दिवालिया घोषित करने की कवायद

टेलिकॉम कंपनी एयरसेल का वजूद खत्म होता दिख रहा है और इसे दिवालिया घोषित करने की कवायद की जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जल्द ही कंपनी को दिवालिया घोषित कर सकता है। इकॉनोमिक टाइम्स के मुताबिक इस मामले के जानकार लोगों का कहना है कि कंपनी ने एनसीएलटी के सामने दिवालिया घोषित किए जाने का मामला फाइल कर दिया है और कंपनी के बोर्ड को भी भंग कर दिया गया है। मलेशिया की कंपनी मैक्सिस ने कुछ समय पहले एयरसेल को आर्थिक मदद देने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन अब इस कंपनी ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। कंपनी के ऊपर 15,500 करोड़ रुपए का लोन है। करदाताओं ने कंपनी से पैसे मांगने शुरू कर दिए हैं, लेकिन कंपनी के पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं। एयरसेल सितंबर के महीने से करदाताओं से इस मामले में बातचीत कर रही है, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है।

एक सूत्र का कहना है कि कंपनी के पास अब बिजनेस को जारी रखने के लिए पैसे नहीं हैं। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस हफ्ते के आखिर तक कंपनी अपने कर्मचारियों को वेतन देना भी बंद कर देगी। हालांकि मंगलवार को कंपनी के करदाताओं की मीटिंग होने वाली है, जहां इस मामले पर फैसला लिया जा सकता है। वहीं अगर कंपनी दिवालिया घोषित कर दी जाती है तो करीब 5000 कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।

इस मामले में एयरसेल ने आधिकारिक तौर पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया है। करदाताओं के समूहों का नेतृत्व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कर रहा है। इस मामले में एसबीआई ने भी फिलहाल कुछ भी कहने से मना कर दिया है। एयरसेल के ऊपर आए संकट से सबसे ज्यादा नुकसान तो 5000 कर्मचारियों को होगा ही, लेकिन साथ ही साथ टावर ऑपरेटर्स जीटीएल इंफ्रा, भारती इन्फ्राटेल, इंडस टावर और एटीसी को भी होगा। एयरसेल ने इन कंपनियों को वर्तमान में 40,000 टावर्स के लिए पट्टे दे रखे हैं। एरिक्सन, नोकिया और ZTE जैसे नेटवर्क मैनेजमेंट वेंडर्स को भी एयरसेल के दिवालिया घोषित किए जाने से काफि प्रभाव पड़ेगा। आपको बता दें कि साल 2016 में जब जियो की लॉन्चिंग हुई, उसके बाद से ही एयरसेल को नुकसान होना शुरू हो गया।

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