पीएनबी घोटाले के बीच जानिए कि बैंक में जमा आपका पैसा कितना सुरक्षित है?
नई दिल्ली: लगातार सामने आ रहे हजारों करोड़ के बैंक घोटाले ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आपके पैसे बैंक में कितने सुरक्षित हैं? क्या बैंक इस बात की गारंटी जनता को दे सकते हैं कि करोड़ों रूपये के घोटाले के बाद भी आम जनता के पैसे सुरक्षित रहेंगे. बैंक तो छोड़िए सरकार भी एक ऐसी जनविरोधी बिल लेकर आ रही है जिसके बाद बैंकों को ये अधिकार मिल जाएगा कि वे अपनी स्थिती सुधारने के लिए आपके पैसे को मनमुताबिक तरीके से इस्तेमाल कर सकें.
इस बिल का नाम है फाइनेंशियल रेज़्यूलेशन एंड डिपोज़िट इंन्श्योरेंस बिल (एफआरडीआई). इस नए बैंक डिपॉजिट बिल के एक प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के बैंकों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि दिवालिया होने की स्थिति में बैंक खुद ये तय करेगा कि जमाकर्ता को कितने पैसे वापस करने हैं. यानि की अगर बैंक डूबता है तो जमाकर्ता के सारे पैसे भी डूब सकते हैं. मौजूदा नियम के मुताबिक अगर बैंक में आपकी 10 लाख रुपये तक की राशि जमा है और अगर बैंक डूबे तो केवल 1 लाख रुपये तक की राशि वापस मिलेगी.
हालांकि, अभी ये बिल संसद की संयुक्त समिति के पास विचाराधीन है. सरकार ने सोमवर को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के साथ हुई बैठक में संयुक्त समिति को बताया कि सरकार एक लाख रूपये कि अपर लिमिट को बढ़ाने के लिए तैयार है. लेकिन उर्जित पटेल एक लाख के ऊपर जाने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर हम अपर लिमिट बढ़ा देते हैं तो बैकों पर भारी बोझ पड़ेगा.
बता दें कि साल 1993 में एक लाख रूपये की सीमा तय की गई थी. एफआरडीआई पर बनी संयुक्त समिति ने बताया कि आरबीआई इस बिल का समर्थन कर रही है और वो इस बात पर अड़ी है कि एक लाख की अपर लिमिट नहीं बढ़ाई जाए.
सरकारी बैंकों का एनपीए (नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट) यानि कि बैड लोन इस समय बढ़ कर छह लाख करोड़ से ज्यादा का हो गया है. भारत के सबसे बड़ी सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए इस साल के जून महीने में एक लाख 88 हजार करोड़ का हो चुका है. ये आंकड़े बैंकों की बदहाली की स्थिति को दर्शाते हैं. साथ ही सरकारें बड़े कारोबारियों के पैसे को मांफ कर रही हैं.
क्या है मौजूदा नियम
अभी बैंक हरेक जमाकर्ता को एक लाख रुपये तक की गारंटी देता है. गारंटी डिपॉजिट इन्श्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के तहत ये गारंटी मिलती है. यानि अगर जमाकर्ता ने 50 लाख रुपये भी जमा कर रखे हैं और अगर बैंक डूबता है कि सिर्फ एक लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है. बाकी रकम असुरक्षित क्रेडिटर्स के क्लेम की तरह डील किया जाता है. हालांकि सरकार एक लाख की लिमिट बढ़ाने की बात कर रही है लेकिन आरबीआई इस प्रावधान के खिलाफ है.