व्यवसाय

Budget 2022 में आय समर्थन उपायों और नौकरियों पर ध्यान देने की जरूरत

मुंबई। देश में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान घरेलू खपत में कमी आई है। घरेलू खपत का सकल घरेलू उत्पाद में 55 प्रतिशत हिस्सा होता है, जो वित्त वर्ष 2021 में 10.1 प्रतिशत तक सिकुड़ गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए एक रिपोर्ट में आगामी आम बजट में कुछ उपायों की जरूरत बताई गई है। रिपोर्ट में नरम राजकोषीय नीति अपनाने पर जोर देते हुए निकट अवधि में आय और नौकरी पैदा करने वाले उपायों पर ध्यान केंद्रित करके नुकसान को कम करने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया गया है।

चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा अनुमान का हवाला देते हुए CRISIL ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में घरेलू खपत इससे पिछले वित्त वर्ष के स्तर से तीन प्रतिशत अंक कम है। यह महामारी के बाद से जीडीपी के व्यय-पक्ष पर सबसे खराब प्रदर्शन है।

खपत चक्र को बजट में महत्व दिए जाने की बहुत जरूरत जताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से पहले भी निजी खपत धीमी थी। प्रति व्यक्ति आधार पर खपत वृद्धि वित्त वर्ष 2017 में 6.8 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2020 में 4.4 प्रतिशत हो गई और वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसमें 10.1 प्रतिशत की तेजी से कमी आई।

CRISIL के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि बजट में रोजगार सृजन और आय-सहायक उपायों के प्रावधान करके गिरावट को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की जाए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार राजकोषीय घाटे को तीन प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य को स्थगित करके वित्तीय वर्ष 2022-26 में अतिरिक्त 35 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय स्थान बना सकती है।

Related Articles

Back to top button