व्यवसाय

कच्चे तेल में तेजी से महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल, आप पर भी यूंं होगा असर

नई दिल्ली। अमेरिका में ऑयल रिग्स की कमी और ओपेक व गैर-ओपेक देशों की तरफ से उत्पादन घटाए जाने की वजह से कच्चे तेल की कीमतों निरंतर तेजी बनी हुई है। 64 डॉलर प्रति बैरल पार करने के बाद कच्चा तेल 28 महीनों के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिनों कई चीजें कच्चे तेल को सपोर्ट कर रही हैं, जिनकी बदौलत यह 70 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। मौजूदा हालात तेल निकालने वाली कंपनियों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कुछ कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

दूसरी तरफ तेल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बनना तय है। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं, जिसके कारण महंगाई बढ़ सकती है और शेयर बाजार दबाव में आ सकता है।

जुलाई से अब तक 40 फीसदी तेजी

इस साल जुलाई से अब तक कच्चे तेल (ब्रेंट कू्रड) की कीमत 40 फीसदी बढ़कर करीब 64 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।
पिछले एक महीने के आंकड़े पर गौर करें तो पता चलता है कि इसमें 11 फीसदी की तेजी आ चुकी है। वैसे जून 2017 के बाद से कीमतें 42 फीसदी बढ़ चुकी हैं। 22 जून को ब्रेंट कू्रड 45.22 डॉलर प्रति बैरल था।
कमोडिटी एक्सपर्ट अनुज गुप्ता ने कहा कि सऊदी अरब में भष्टाचार के मामले में प्रिंस को हिरासत में लिए जाने से कच्चे तेल में अनिश्चितता बनी रहेगी, जिससे आगे तेजी के हालात बनते नजर आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगले 10-15 दिन में कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
एंजेल ब्रोकिंग के कमोडिटी एंड रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ‘ओपेक’ की तरफ से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की डेडलाइन मार्च में खत्म हो रही है।
ओपेक देश इसे बढ़ाने पर राजी हो गए हैं। ओपेक देश, रूस और अन्य तेल उत्पादक देशों ने जनवरी से ही रोजाना 18 लाख बैरल उत्पादन कम किया हुआ है। इस वजह से तेल बाजार में तेजी का रुझान बना हुआ है।
अमेरिका में ऑयल रिग्स कम होनाः अमेरिका में ऑयल रिग्स में कमी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है। अमेरिका में ऑयल रिग्स की संख्या घटी है। पिछले हफ्ते अमेरिकी एनर्जी कंपनियों ने 8 ऑयल रिग्स बंद कर दिए। इस कटौती के साथ ऑयल रिग्स की संख्या घटकर 729 रह गई है, जो मई 2016 के बाद का निचला स्तर है।

सऊदी अरब में कार्रवाईः केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब में भ्रष्टाचार के मामले में 11 प्रिंस को हिरासत में लिए जाने का भी असर कच्चे तेल की कीमतों पर हो सकता है।

भू-राजनैतिक तनावः सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव बढ़ा है। यमन में होउथी मूवमेंट के खिलाफ अभियान में सऊदी अरब की सेना ने हाल ही में रियाद पर मिसाइल दागे थे। इससे भू-राजनैतिक तनाव बढ़ा है, जिसका असर कच्चे तेल की की कीमतों पर होगा।

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