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गरीब अंबानी की कहानी.. पत्नी की जुबानी

घर में थी केवल एक बैलगाड़ी और अब...

धीरूभाई अंबानी की धर्मपत्नी कोकिलाबेन के एक इंटरव्यू के अंश से…

“1955 में जब धीरूभाई अंबानी से मेरी शादी हुई थी तब मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि मेरा जीवन इतना बदल जाएगा। शादी के बाद ही मैंने पहली बार मुंबई देखा था। जब मैं यमन के अदन शहर जा रही थी तब पहली बार मैं स्टीमर में बैठी थी। और मेरे लिए वो बहुत हैरान करने वाला तजुर्बा था। अदन में ज़िंदगी जामनगर के मुकाबले बहुत अलग थी। अदन मेरे लिए टर्निंग पॉइन्ट साबित हुआ था। मुकेश का जन्म वहीं हुआ था। अनिल, दीप्ति और नीना का जन्म मुंबई में हुआ था। अब तो सबकी शादी हो चुकी है। आज बहुओं, दामादों और बच्चों को मिलाकर हमारा 19 लोगों का परिवार हो गया है।”

24 फरवरी 1934 को कोकिलाबेन का जन्म जामनगर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जो उस वक्त नवानगर कहलाता था। एक आम भारतीय लड़की की तरह ही कोकिलाबेन की परवरिश हुई थी। उनकी माता ने उन्हें घर के सभी काम करने सिखाए थे। साथ ही सिलाई व कढ़ाई भी उन्होंने सीखी थी। उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की थी। साल 1955 में कोकिलाबेन और धीरूभाई अंबानी की शादी हुई थी। शादी के बाद वो अपनी ससुराल चोरवाड आ गई। उस ज़माने में धीरूभाई के घर एक बैलगाड़ी हुआ करती थी। शादी के कुछ महीनों बाद धीरूभाई काम करने अदन चले गए।

एक दफा अदन से धीरूभाई ने कोकिलाबेन को एक चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में धीरूभाई ने लिखा,”कोकिला, मैंने यहां एक कार खरीद ली है। जब तुम अदन आओगी तो मैं तुम्हें इसी कार से लेने आऊंगा। जानती हो कार का रंग क्या है? काली। बिल्कुल मेरी तरह।” धीरूभाई की वो चिट्ठी पढ़कर उस दिन कोकिलाबेन बहुत हंसी थी। और जब कुछ दिन बाद वो अदन पहुंची तो पोर्ट पर उन्हें रिसीव करने धीरूभाई अपनी उसी काली कार में आए थे। कोकिला जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि चोरवाड में हमारे पास बैलगाड़ी थी। अदन में हमारे पास कार आई। और मुंबई में तो हवाई जहाज और हैलीकॉप्टर भी आ गया।

1958 में धीरूभाई अंबानी और कोकिलाबेन अदन से वापस भारत लौट आए। धीरूभाई ने मुंबई को अपना ठिकाना बनाया। हर गुज़रते दिन के साथ वो तरक्की करते चले गए। उन्होंने रिलायंस की स्थापना की। कदम दर कदम वो कामयाबी की ऊंचाईयां छूते चले गए। और अपनी पत्नी कोकिलाबेन को उन्होंने हमेशा अपने साथ रखा। हर फैसला वो कोकिलाबेन से सलाह-मशविरा करके लेते थे। हर नए प्लांट का इनोग्रेशन कोकिला जी से कराते थे। धीरूभाई हर प्रोग्राम व पार्टी में कोकिलाबेन को साथ लेकर जाते थे। कभी कोकिलाबेन मना करती थी तो साथ चलने की गुज़ारिश करते थे।

चूंकि कोकिलाबेन 10वीं तक पढ़ी थी, वो भी गुजराती माध्यम से, इसलिए धीरूभाई चाहते थे कि वो और पढ़ें। धीरूभाई ने अपने बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए एक ट्यूटर रखा था। एक दिन धीरूभाई ने कोकिलाबेन से कहा कि तुम्हें भी अंग्रेजी सीखनी चाहिए। तुम भी इसी ट्यूटर से क्यों नहीं सीख लेती इंग्लिश? तभी से कोकिलाबेन ने भी अंग्रेजी पर मेहनत शुरू क दी। और कुछ सालों में उनकी भी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ हो गई।

एक इंटरव्यू में कोकिलाबेन ने बताया था,”धीरूभाई उन्हें अपने साथ फाइवस्टार होटल्स में ले जाते थे। और वहां पर तरह-तरह का खाना खिलाते थे जैसे इटैलियन, मैक्सिकन, चायनीज़, जैपनीज़ व अन्य। इसलिए ताकि जब मैं उनके साथ किसी पार्टी या विदेश में जाऊं तो मुझे खाने के लिए परेशान ना होना पड़े। वो जब भी मुझे विदेश घुमाने ले जाते थे तो मुझे हर जगह के बारे में अच्छे से जानकारी देते थे। दुनिया के बारे में उनकी नॉलेज बहुत अच्छी थी।

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