जापान में चावल की किल्लत, सुपरमार्केट खाली
टोकियो। जापान में चावल की भारी कमी हो गई है। पिछले कुछ हफ्तों से जापान के कई सुपरमार्केट्स में चावल खत्म हो गया है। जून 1विनोद उपाध्याय / 28 अगस्त, 2024 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब जापान में चावल की कमी देखी जा रही है। द जापान टाइम्स के मुताबिक, जिन सुपरमार्केट्स में चावल मिल रहा है, वहां लोगों से कम मात्रा में चावल खरीदने की अपील की जा रही है।
दरअसल, जापान में सरकार ने भूकंप और तूफानों के खतरे को लेकर चेतावनी दी थी। इसके बाद से ही लोग घबराहट में चावल खरीदकर अपने घरों में स्टॉक करने लगे हैं, जिस वजह से बाजार में चावल की कमी हो गई है। जापान में मई से नवंबर तक के महीने को टाइफून सीजन कहा जाता है। इस दौरान करीब 20 तूफान आते हैं। इसके चलते भारी बारिश, लैंडस्लाइड और बाढ़ आ जाती है। टाइफून सीजन में भी अगस्त-सितंबर के महीने में सबसे ज्यादा तूफान आते हैं। इस साल 19 से 21 तूफान आने की आशंका है। जापान सरकार ने इन्हीं तूफानों की चेतावनी दी थी, जिसके बाद से लोग घबराकर घरों में चावल स्टॉक कर रहे हैं।
सितंबर में नई फसल आने के बाद सुधर सकते हैं हालात
चावल की किल्लत के बीच जापान सरकार ने मंगलवार को लोगों से शांत रहने की अपील की। कृषि मंत्री तेत्सशी सकामोतो ने कहा कि देश में कुछ जगहों पर चावल के स्टॉक में कमी है, लेकिन हम इससे जल्द ही उभर जाएंगे। फिलहाल चावल का पर्याप्त स्टॉक है। चावल की फसल साल में केवल एक बार पैदा होती है। सितंबर में नए चावल की कटाई शुरू हो जाएगी, जिसके बाद बाजार में नई फसल के आने से हालात ठीक हो जाएंगे।
लंबी छुट्टी और रिकॉर्ड विदेशी पर्यटकों की वजह से भी हो रही है चावल की कमी
जापान में 13 अगस्त से ओबोन फेस्टिवल चल रहा है। ओबोन फेस्टिवल के दौरान लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। उनकी याद में समारोह मनाए जाते हैं। इस फेस्टिवल के चलते लोग लंबी छुट्टियों पर है। इस वजह से चावल की डिमांड बढ़ गई है। इसके साथ ही जापान में इस साल रिकॉर्ड विदेशी पर्यटक आए हैं। इस वजह से भी चावल की कमी हो रही है। जापान नेशनल ट्यूरिज्म आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में इस साल जून तक 31 लाख से भी ज्यादा विदेशी पर्यटक आ चुके हैं। अमेरिका के कृषि विभाग के फॉरन एग्रीकल्चर सर्विस रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में 2023-24 में चावल का कुल उत्पादन 7.3 मिलियन टन हुआ, जबकि चावल की खपत 8.1 मिलियन टन रही।