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मोदी राज में खुलेगा भगवान जगन्नाथ का भंडार गृह

भुवनेश्वर। पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के बारे में जानने के लिए ओडिशा ही नहीं पूरे देश-दुनिया में रहने वाले प्रभु के भक्त प्रतीक्षा में हैं। आगामी रथयात्रा के समय रत्न भंडार खोला जाएगा, यह बात पहले कई बार कही जा चुकी है। रत्न भंडार में कितने आभूषण हैं, उसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। हालांकि, रत्न भंडार कब खोला जाएगा, उस संदर्भ में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। राज्य कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचन्दन ने बुधवार को इस संबंध में कहा कि रत्न भंडार कब खोला जाएगा, अब तक निर्णय नहीं हुआ है।
स्कैनिंग से दीवार में दरार होने की बात पता चली है। इससे रत्न भंडार के अंदर पानी रिसाव कर रहा है। अनुध्यान के बाद रत्न भंडार की मरम्मत कराई जाएगी। रत्न भंडार अनुध्यान एवं जांच के लिए एएसआई की तरफ से 14 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है।
आभूषणों को ओडिशा के पूर्ववर्ती राजाओं ने दान किया है
इतिहासकारों का मानना है कि रत्न भंडार में मौजूद वेशकीमती आभूषणों को ओडिशा के पूर्ववर्ती राजाओं ने दान किया है। प्राचीन काल में राजा अन्य देश पर विजय के उपरांत हाथी-घोड़े पर लादकर सोने-चांदी, हीरे के आभूषण लाते थे और उसमें से चढ़ावा स्वरूप महाप्रभु को दान कर देते थे।

खजाने में 12 हजार 831 भारी सोने के आभूषण हैं
इन आभूषणों को आज भी सुरक्षित तरीके से जगन्नाथ मंदिर के अंदर रत्न भंडार में सुरक्षित रखा गया है।तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में अप्रैल 2018 को खजाने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि 1978 में रत्न भंडार में 12 हजार 831 भारी सोने के आभूषण हैं, जिनमें कीमती पत्थर लगे हुए हैं।
46 वर्ष से नहीं खुला है महाप्रभु का रत्न भंडार
12वीं सदी के इस मंदिर में दो कमरे हैं। इनमें से एक को भीतर भंडार और एक को बाहर भंडार कहा जाता है।बाहरी कमरे को तो सालाना रथ यात्रा के समय पूजा के लिए खोला जाता है। इसके अलावा कई और अहम मौकों पर भी बाहरी भंडार से आभूषण निकाले जाते हैं, लेकिन भीतर भंडार को खोले हुए 46 साल हो चुके हैं।
क्या है रत्न भंडार को खोलने की प्रक्रिया?
इन्हें खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी होती है। उच्च न्यायालय की तरफ से निर्देश मिलने के बाद राज्य सरकार ने 2018 में कमरा खोलने की कोशिश की थी, लेकिन चाबी नहीं होने की वजह से प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बाहर से ही निरीक्षण किया था।

कब तैयार की गई थी सूची
मंदिर के खजाने में मौजूद रत्नों की सूची साल 1926 और फिर 52 सालों के बाद 1978 में तैयार की गई थी। हालांकि, 1978 में आभूषणों का मूल्यांकन नहीं हुआ था। इसके बाद साल 2018 में राज्य सरकार ने जांच के लिए रत्न भंडार को दोबारा खोलने की तैयारी की, लेकिन उस दौरान कमरे की चाबियां नहीं मिलने के चलते अधिकारी काम पूरा नहीं कर सके थे।

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