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अगले साल से कम होगी महंगाई:गेहूं और तेल से लेकर गैस के दाम भी होंगे कम, 2024 में भी जारी रहेगी ये राहत

भारत समेत पूरी दुनिया में महंगाई कम होने जा रही है और ये राहत टिकाऊ होगी। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ ही हफ्तों बाद शुरू होने वाले 2023 में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, अनाज, खाद्य तेल, कॉटन और मेटल जैसी लगभग सभी कमोडिटी के दाम 15% तक घटेंगे। इसके बाद 2024 में भी इनकी कीमतों में 12% तक गिरावट आने का अनुमान है।

इस साल महंगाई बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की रही है। अगले साल इनके दाम सबसे ज्यादा घटेंगे। भारतीय कमोडिटी एक्पर्ट्स के मुताबिक, अगले साल कच्चे तेल का इंटरनेशनल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड करीब 17% घटकर 75 डॉलर प्रति बैरल पर आ सकता है, जो अभी 90 डॉलर के आसपास है। जून 2023 तक खाने के तेल में भी 12-15% गिरावट आने का अनुमान है।

घरेलू बाजार: गैस की कीमत आधी रह जाएगी, गेहूं, तेल, चीनी के भाव भी घटेंगे

कमोडिटी 2022 2023 गिरावट
प्राकृतिक गैस 492 250 49%
गेहूं 2,800 2,125 24%
सरसों 7,075 5,500 22%
सोया तेल 1,470 1,250 15%
पाम ऑयल 894 800 11%
चीनी 3,517 3,300 6%
कॉटन 32,550 30,000 8%
​​​​​​​​​​​​​​(गैस रुपए/यूनिट, सोया- क्रूड पाम ऑयल रुपए/10 किलो, कॉटन रुपए/गांठ, बाकी दाम रुपए/क्विंटल, सोर्स: ओरिगो कमोडिटीज)

अंतरराष्ट्रीय बाजार: तेल-गैस सर्वाधिक सस्ते होंगे, खाद्य तेल के दाम भी घटेंगे

कमोडिटी 2022 2023 2024
क्रूड ऑयल 90 75 72
प्राकृतिक गैस 40 32 28
पाम ऑयल 1,275 1,050 1,054
सोया तेल 1,675 1,550 1,537
चावल 435 435 436
गेहूं ​​​​​​​ 430 410 405
कॉटन ​​​​​​​ 2.95 2.90 2.86
(क्रूड ऑयल डॉलर/बैरल, गैस डॉलर/यूनिट, कॉटन डॉलर/टन, बाकी दाम डॉलर/टन, सोर्स: वर्ल्ड बैंक, केडिया एडवाइजरी)

इन प्रमुख कारणों से मिलेगी महंगाई से राहत

खाद्य तेल: यूक्रेन के पास सन फ्लावर ऑयल का बड़ा स्टॉक है, देश में सरसों की खेती बढ़ी है और पाम तेल निर्यातक देशों में श्रमिकों की कमी दूर हो गई है।
अनाज: देश में अनाज का उत्पादन साल-दर-साल बढ़ रहा हैै। रबी सीजन में गेहूं उत्पादन 10-15% बढ़ सकता है। मक्का उत्पादन भी बढ़ने की संभावना है।
कॉटन: कॉटन उत्पादन 8.5% बढ़ने का अनुमान है। अमेरिका में भी उत्पादन बेहतर रहने की संभावना है। ऐसे में कॉटन के भाव पर दबाव बन सकता है।
तेल-गैस: वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती से मांग में कमी आएगी। उधर चीन में कोविड की पाबंदियां एक बार फिर बढ़ी हैं। ऐसे में कीमतें घटेंगी।

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