मुख्य समाचारविश्व

जी-20 समिट से पहले IMF का मंदी पर अलार्म, चीन और यूरोप में भी बड़ा है संकट; क्या है अनुमाम

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जी-20 मीटिंग से ठीक पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ाने वाली बात कही है। आईएमएफ का कहना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था कमजोर होती दिख रही है। मांग में कमी आई है।
जी-20 समिट से पहले IMF का मंदी पर अलार्म, चीन और यूरोप में भी बड़ा है संकट; क्या है अनुमाम

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जी-20 मीटिंग से ठीक पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ाने वाली बात कही है। आईएमएफ का कहना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था कमजोर होती दिख रही है। वैश्विक संस्था ने कहा कि बीते महीने जो अनुमान था, उससे भी खराब स्थिति होती दिख रही है। आईएमएफ के मुताबिक बीते कुछ महीनों के परजेजिंग मैनेजर इंडेक्स में यह बात सामने आई है। यही नहीं IMF का कहना है कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं ने जो मौद्रिक नीतियां सख्त की हैं और महंगाई में तेजी हुई है, उससे ऐसे हालात बने हैं। अपने अनुमान में IMF ने बताया है कि चीन की अर्थव्यवस्था में धीमापन दिखा है और सप्लाई चेन प्रभावित हुई है।

इसके अलावा रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते दुनिया में खाद्यान्न की सप्लाई भी प्रभावित हुई है। इसी के चलते ऐसे हालात बन रहे हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी दिख रही है। बीते महीने ही वैश्विक संस्थान ने 2023 में दुनिया की आर्थिक ग्रोथ के अनुमान को 2.9 फीसदी से घटाकर 2.7 फीसदी करने का ऐलान किया था। जी-20 लीडर्स समिट से पहले एक ब्लॉग में आईएमएफ ने कहा कि वैश्विक इकॉनमी को लेकर जो संकेत मिल रहे हैं, वे धीमेपन की बात कर रहे हैं। खासतौर पर यूरोप में मंदी की स्थिति बनी हुई है। इसका असर दुनिया के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिलेगा।

आईएमएफ का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज ऐक्टिविटी कमजोर पड़ी हैं। दुनिया की बड़ी 20 अर्थव्यवस्थाओं की कमोबेश ऐसे ही स्थिति है। एक तरफ महंगाई दर में इजाफा हुआ है तो वहीं मांग और उत्पादन में भी कमी देखने को मिल रही है। आईएमएफ का कहना है कि ग्लोबल इकॉनमी के सामने जो संकट है, वह चिंता बढ़ाने वाला है। इससे ऐसा लगता है कि आगे भी समय चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। यही नहीं यूरोप में ऊर्जा के संकट ने भी ग्रोथ में कमी लाने का काम किया है और महंगाई में इजाफा हुआ है। वैश्विक संस्था ने कहा कि यदि इसी तरह महंगाई बनी रही तो फिर दुनिया भर में पॉलिसी रेट में इजाफा होगा और इससे आर्थिक स्थिति कठिन हो सकती है।

Related Articles

Back to top button