मध्य प्रदेश

पहली बार गेहूं की फसल में नजर आई  इल्ली चिंता में किसान 

चना फसल में भी इल्ली का अटैक, किसानों को वैज्ञानिक दे रहे सलाह
मध्यप्रदेश। गेहूं की फसल रोग ग्रस्त होने लगी है। क्षेत्र में पहली बार किसानों ने गेहूं की फसल में रोग लगते देखा है। इसके पूर्व कभी भी गेहूं की फसल में इल्ली व गेरूआ जैसा रोग नहीं देखा गया। आलम यह है कि इस साल मौसम में आ रहे बदलाव के कारण समय से पहले ही फसलों का जीवन चक्र पूरा होता दिखाई दे रहा है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। लगातार हो रहे मौसम परिवर्तन से चने व गेहूं की फसल में लग रहे रोगों ने किसानों को परेशानी में डाल दिया है। किसान लगातार दवा विक्रेताओं के यहां पहुंचकर फसलों की स्थिति के अनुसार महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। वहीं कृषि विभाग का अमला भी लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर किसानों को उचित उपचार की सलाह दे रहा है। इस वर्ष अतिवृष्टि, टिड्डी दल के हमले व जड़ माउ रोग लगने से सोयाबीन, मक्का, मूंग व उड़द की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं कोरोना संक्रमण ने आम आदमी की कमर तोड़ दी। खरीफ फसल बर्बाद होने के बाद किसानों की सारी उम्मीद रबी फसल पर टिकी हुई है। लेकिन वर्ष 2021 के प्रारंभ में ही गेहूं व चने की फसल में रोग लगने से किसानों की नींद उड़ गई है। किसान अब क्या करें यह उसे समझ नहीं आ पा रहा है।
पहली बार लगी गेहूं में इल्ली
सामान्यत: इल्लियों का अटैक सोयाबीन, उड़द, मूंग, चना व मक्का सहित दलहनी फसलों में होता है। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि इल्लियों ने गेहूं की फसल को भी अपनी चपेट में ले लिया है। यहां तक की गेहूं में इल्ली के साथ गेरूआ रस्ट रोग लग गया है। जो फसल के लिए घातक साबित हो सकता है। बुजुर्गों की माने तो गेहूं की फसल में अभी ऐसा रोग कभी भी देखने को नहीं मिला। जिसमें गेहूं की बालियां पीली, काली व भूरी पड़ती दिखाई दे रही है। पहले यह लक्षण गेहूं की पत्तियों में आए, फिर बालियों में आ गए है। वहीं कृषि विकास अधिकारी रामानंद माहेश्वरी ने बताया कि गेहूं की 322 व 451 किस्म में यह रोग देखने को मिला है। अक्टूबर माह में लगभग 5000 हैक्टेयर में किसानों ने बुआई कर दी थी। यह रोग उन्हीं खेतों में देखा जा रहा है। हालांकि किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
चने में इल्ली का अटैक
लगातार मौसम बदलने के कारण चने की फसल भी पूरी तरह से इल्लियों की चपेट में आ चुकी है। किसान लगातार चने के खेत में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहा है। लेकिन बीते एक सप्ताह में आसमान में बादल छाने से इल्ली का प्रकोप कम होने की वजाय बढ़ता ही जा रहा है। जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। इस वर्ष 14000 हैक्टेयर में किसानों द्वारा चने की बुआई की है।

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