आखिर कब तक बलात्कार, हत्या और मारपीट का शिकार होता रहेगा बहुजन
मध्यप्रदेश। देश में बहुजन समाज पर अत्याचारों की कहानी नई नहीं है, देश की आजादी के पहले की स्थिति की यदि हम बात भी न करें तो देश की आजादी के बाद की स्थितियों में सुधार तो आया है, लेकिन अभी बहुजन समाज की स्थिति देश में ठीक नहीं है। इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के हाथरस से आया है। दूसरा मामला बलराम पुर से आया है
जहां एक बहुजन बेटी के साथ दुष्कर्म की घटना घटित होने के साथ, उसके साथ जो अमानवीयता हुई, वो पता नहीं कब तक बहुजन समाज के जहन में रहेगी। यह अलग बात है, वर्तमान में इस घटना को लेकर देश भर का बहुजन समाज आक्रोश में है। आन्दोलित भी है, लगातार पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने के लिए इस कोरोना काल में भी वह सड़कों पर है। सड़कों पर शायद इसलिए है कि उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यवाही संदेह में हो और उसकी कार्यवाही से संतुष्टी नहीं है। बहुजन समाज पर हुए अत्याचारों के मामले बहुत है, जिसमें कई नरसंहार शामिल है। लेकिन चंद घटनाओं का ही जिक्र कर रहा हूं।
गोलियों से भूने तो कहीं आबरू लूट की हत्या
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 17 जुलाई को जमीन के मामले को लेकर 10 आदिवासियों को गोलियों से भून दिया गया। एक दर्जन घायल हुए। वहीं आजमगढ़ जिले में दलित प्रधान सत्यमेव जयते को 14 अगस्त को गोलियों से भून दिया गया। 20 अगस्त को आगरा में डा बेटी की हत्या कर दी गई। 24 अगस्त को लखीमपुर में एक मामला सामने आया था और हाथरस एवं बलराम पुर के मामले अभी सामने ही है। बलराम पुर में भी दुष्कर्म का शिकार हुई युवती की मौत हो गई है। 2019 में बहुजन युवती को पेट्रोल डाल कर जलाया गया। यह मामले केवल उत्तर प्रदेश के ही है। अन्य राज्य भी इससे अछूते नहीं हैं।
– चिता के वेदी से उतरवाया शव
देश में दलितों पर कितने अत्याचार हो रहे हैं, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता शायद ऐसा कोई दिन हो जब किसी दलित महिला की आबरू न लुटे, हत्या न हो , मारपीट न हो, अत्याचार का एक और नमूना है जब 28 जुलाई को उत्तर प्रदेश में ही एक दलित विवाहिता की मौत होने पर उसके परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार किया जा रहा था, उसका शव चिता की वेदी से उतरवाया गया। श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार नहीं करने देने की घटनाएं तो आती ही रहती है, मध्य प्रदेश में भी इस तरह की घटना सामने आई थी। 2019 के 25 सितम्बर को महज सड़क के किनारे शौच करने पर दो मासूम बच्चों की हत्या हुई।
– अब यूपी से निकलते है बाहर
दलित आदिवासियों पर अत्याचार पर गुजरात में मई 2020 को महिसागर क्षेत्र में दलित युवती से गैंगरेप, बिहार के आरा जिले के जगदीश पुर थाने इलाके में एक युवती रेप का शिकार हुई। राजस्थान में पति के सामने ही दुष्कर्म कर वीडियो वायरल करने का मामला ही प्ार्याप्त है। इसके अलावा देश के अिधकांश राज्यों में दलित आदिवासियों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। दुष्कर्म के अपराधों के अलावा अन्य घटनाएं भी हुई फिर चाहे रोहित वेमुला हो या फिर पायल तडवी।
पुलिस ने सीधे सिर में मारी गोली
बहुजन समाज के प्रति देश में पुलिस का नजरिया कैसा रहता है, इसका अंदाजा मध्यप्रदेश के जिला सतना में कुछ दिनों पहले की घटना से ही लिया जा सकता है, जब पूछताछ के लिए लाये गए एक संदेही युवक से पुलिस इतनी नाराज हो गई कि डंडे और थप्पड़ों को छोड़कर उसे गोली मार दी गोली भी उसके सिर में, जब सिर में गोली लगी है तो मौत तो होनी ही है, मौत हो गई। क्या वह इतना बड़ा गुनाहगार था। दूसरी तरफ यूपी में हुए इनकाउन्टरों में तो पुलिस संदेह के घेरे में बनी रही।
– बहुजन नेताओं की चुप्पी
बहुजनों पर अत्याचार की घटनाएं तो हो ही रही है, पर बहुजनों के साथ सियासत उतनी मजबूती से साथ खड़ी नहीं होती है, बहुजन समाज के लिए दुखद विषय यही है कि जिन सांसदों को, विधायकों को वह चुन कर भेजते हैं, वह उनके साथ जब अत्याचार होते हैं तो मजबूती के साथ खड़े नहीं होते, कुछ आशा किरण नजर आ रही है, सामाजिक संगठन बहुजनों के साथ हो रहे अत्याचारों पर विरोध जताकर आवाज बुलंद कर रहे है।