मुख्य समाचार

प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कहा 5 अप्रैल को मनाएं दिवाली? पढें…

 

 

मेरे प्यारे देशवासियों,

कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ देशव्यापी लॉकडाउन को आज 9 दिन हो रहे हैं। इस दौरान आप सभी ने जिस प्रकार अनुशासन और सेवा भाव,दोनों का परिचय दिया है, वो अभूतपूर्व है। शासन, प्रशासन और जनता जनार्दन ने मिलकर स्थिति को अच्छे ढंग से सम्भालने का भरपूर प्रयास किया है। आपने जिस प्रकार, 22 मार्च को रविवार के दिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले हर किसी का धन्यवाद किया, वो भी आज सभी देशों के लिए एक मिसाल बन गया है। आज कई देश इसको दोहरा रहे हैं। जनता कर्फ्यू हो, घंटी बजाने, ताली-थाली बजाने का कार्यक्रम हो, इन्होंने इस चुनौतिपूर्ण समय में देश को इसकी सामूहिक शक्ति का ऐहसास कराया। यह भाव प्रकट हुआ कि देश एक होकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है। अब लॉकडाउन के समय में, देश की, आप सभी की ये सामूहिकता चरितार्थ होती नजर आ रही है।

साथियों,

आज जब देश के करोड़ों लोग घरों में हैं, तब किसी को भी लग सकता है कि वो अकेला क्या करेगा। कुछ लोग ये भी सोच रहे होंगे कि इतनी बड़ी लड़ाई को, वो अकेले कैसे लड़ पाएंगे। ये प्रश्न भी मन में आते होंगे कि – कितने दिन ऐसे और काटने पड़ेंगे।

साथियों,

ये लॉकडाउन का समय जरूर है, हम अपने अपने घरों में जरूर हैं, लेकिन हम में से कोई अकेला नहीं है। 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति हर व्यक्ति के साथ है, हर व्यक्ति का संबल है । समय-समय पर देशवासियों की इस सामूहिक शक्ति की विराटता, इसकी भव्यता और दिव्यता की अनुभूति करना आवश्यक है।

साथियों,

हमारे यहां माना जाता है कि जनता जनार्दन, ईश्वर का ही रूप होती है। इसलिए जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो, तो ऐसी लड़ाई में बार-बार जनता रूपी महाशक्ति का साक्षात्कार करते रहना चाहिए। ये साक्षात्कार, हमें मनोबल देता है,लक्ष्य देता है, उसकी प्राप्ति के लिए ऊर्जा देता है, हमारा मार्ग और स्पष्ट करता है।

साथियों,

कोरोना महामारी से फैले अंधकार के बीच, हमें निरंतर प्रकाश की ओर जाना है। जो इस कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, हमारे ग़रीब भाई – बहन उन्हें निराशा से आशा की तरह ले जाना है। इस कोरोना संकट से जो अंधकार और अनिश्चितता पैदा हुई है, उसे समाप्त करके हमें उजाले और निश्चितता की तरफ बढ़ना है। इस अंधकारमय कोरोना संकट को पराजित करने के लिए, हमें प्रकाश के तेज को चारो दिशाओं में फैलाना है। और इसलिए, इस Sunday, 5 अप्रैल को, हम सबको मिलकर, कोरोना के संकट के अंधकार को चुनौती देनी है, उसे प्रकाश की ताकत का परिचय कराना है। इस 5 अप्रैल को हमें, 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण करना है। 130 करोड़ देशवासियों के महासंकल्प को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। 5 अप्रैल, रविवार को रात 9 बजे मैं आप सबके 9 मिनट चाहता हूं। ध्यान से सुनिएगा, 5 अप्रैल को रात 9 बजे, घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे पर या बालकनी में, खड़े रहकर, 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं। मैं फिर कहूंगा, मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट, 5 अप्रैल को, रात को 9 बजे, 9 मिनट तक जलाएं। और उस समय यदि घर की सभी लाइटें बंद करेंगे, चारो तरफ जब हर व्यक्ति एक-एक दीया जलाएगा, तब प्रकाश की उस महाशक्ति का ऐहसास होगा, जिसमें एक ही मकसद से हम सब लड़ रहे हैं, ये उजागर होगा। उस प्रकाश में, उस रोशनी में, उस उजाले में, हम अपने मन में ये संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं, कोई भी अकेला नहीं है !!!
130 करोड़ देशवासी, एक ही संकल्प के साथ कृतसंकल्प हैं।

साथियों,

मेरी एक और प्रार्थना है, कि इस आयोजन के समय किसी को भी, कहीं पर भी इकट्ठा नहीं होना है। रास्तों में, गलियों या मोहल्लों में नहीं जाना है, अपने घर के दरवाज़े, बालकनी से ही इसे करना है। Social Distancing की लक्ष्मण रेखा को कभी भी लांघना नहीं है। Social Distancing को किसी भी हालत में तोड़ना नहीं है। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है। इसलिए 5 अप्रैल को रात 9 बजे, कुछ पल अकेले बैठकर, माँ भारती का स्मरण कीजिए, 130 करोड़ देशवासियों के चहरो की कल्पना कीजिए, 130 करोड़ देशवासियों की इस सामूहिकता, इस महाशक्ति का ऐहसास करिए। ये हमें, संकट की इस घड़ी से लड़ने की ताकत देगा और जीतने का आत्मविश्वास भी।

हमारे यहां कहा गया है…

उत्साहो बलवान् आर्य,
न अस्ति उत्साह परम् बलम्।
स उत्साहस्य लोकेषु,
न किंचित् अपि दुर्लभम्॥

यानि,

हमारे उत्साह, हमारी spirit से बड़ी force दुनिया में कोई दूसरी नहीं है। दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम इस ताकत से हासिल न कर पाएं। आइए, साथ आकर, साथ मिलकर, कोरोना को हराएं, भारत को विजयी बनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!

Related Articles

Back to top button