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जेएनयू की आइशी घोष के फोटो पोस्ट पर ट्रोल हो गए पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति

— छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष के हाथ के फ्रैक्चर को बताया फर्जी

मध्यप्रदेश। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आईषी घोष के साथ हुूई मारपीट के बाद उनके हाथ में हुआ फ्रैक्चर को लेकर अलग अलग फोटो वायरल हो रहे है। ऐसे में माखनलाल चर्तुेवेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एंव संचार विश्वविद्यायल के पूर्व कुलपति जगदीश उपसाने ने अपने फेसबुक एकांउट पर आईषी घोष के फोटो का पोस्ट कर लिखा कि ये जेएनयू की ‘प्रेसिडेंट इलेक्ट’ आइशी घोष हैं. एक दिन बाएं हाथ में बैंडेज बांध लेती हैं तो दूसरे दिन दाएँ हाथ में! खुद को विक्टिम बता रही हैं. लेकिन दिल्ली पुलिस ने उनका ऒर उनके साथियों के झूठ की पोल खोल दी! ….यह पोस्ट जैसे ही लोगों ने पढी तो कुछ ने पूर्व कुलपति की बात का समर्थन किया लेकिन अधिकांश लोगों ने फेक्ट के साथ उनकी बात और फोटो  नाकार दिया,इसके अलावा उनके कुलपति कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय में पढने वालो छात्रों ने उनसे कई सवाल कर लिए। पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व ​कुलपति जगदीश उपसाने अपनी इस पोस्ट को लेकर जमकर ट्रोल किए जा रहे है लेकिन पूर्व उपासने ने अपनी बात को सच बताने के लिए कुछ देर बात एक ओर पोस्ट शेयर की जिसमें ओपी इंडिया की खबर है जिसमें आईषी घोष के फोटो के फेक्ट चैक की बात कही गई। इस पोस्ट पर श्री उपसाने और अधिक ट्रोल हो गए, क्योंकि कुछ लोगों ने कांमेट में बताया कि इस खबर में ही लिखा है कि फोटो फ्लिप है। इस समय पूर्व कुलपति उपसाने की इस पोस्ट पर जमकर बहस जारी है।

किसने क्या लिखा….

Girijesh Vashistha शॉल भी एक दिन एक तरफ दाली है दूसरे दिन दूसरी तरफ। एक ही शॉल दो दिन पहनी है। अपनी तरह मत समझिए। लोग समझ गए हैं। पकड़े गए हैं आप।

Sharad Prakash Jha सर, यह फोटो जो आप लगाए हैं. यह पूरी तरह फोटोशॉप किया हुआ है. फ़ोटो एडिट करने का काम वामपंथी करते हैं और दक्षिणपंथी उसे शेयर करते हैं. फिर वामपंथी उसे कोड करते हैं कि देखिए ये संघी भरम फैला रहे हैं. और फिर फैक्ट चेकिंग वेबसाइट का दूकान चलता है.
मित्रों से अनुरोध की मेरे ऊपर वामपंथी का मुहर लगाने से पूर्व एक बार मेरा प्रोफइल भ्रमण कर लें. घनघोर संघी हूँ, लीजिए बता भी दिया. लेकिन बंधुगण मेरे आंख कान खुले हैं.
उपासने सर मैं निजी तौर पर काफी सम्मान करता हूँ आपका. मैंने विवि में आपके समय में हुए बदलाव और आपके व्यक्तित्व से प्रभावित रहा हूँ. आप भी विवि छोड़कर गए और कुछ महीनों बाद मेरा भी कोर्स खत्म हो गया. सर, आपसे सविनय अनुरोध कि इस तरह की वामी साजिस में न फंसे. इससे आपकी साख भी धूमिल होगी और धूर्त वामी अपने योजना में कामयाब भी होंगे. उनका मोहरा न बनें. सावधानी हटी दुर्घटना घटी.
इस फ़ोटो के एडिटेड होने का साक्ष्य अपने इसी कमेंट के रिप्लाई में दे रहा हूँ.

Gaurav Srivastav सर दूसरी तस्वीर फ्लिप की हुई है।

Prashant K Mishra आप पत्रकारिता वि वि के कुलपति थे। यही हमारे समय की सबसे बड़ी त्रासदी है…

Amit Kumar Chauhan फोटो को लेफ्ट राइट रोटेट किया गया है, फोटोशॉप में ये ऑप्शन होता है। कम्बल को भी गौर करिए। itसेल की कारस्तानी सामने आ जाएगी।

Honey Bagga और कितना चड्डिधारी होने का परिचय देंगे आप ।

Liz Mathew Where did you get this photograph. I checked every photo of hers available from the genuine sources. None has her right hand in bandage . This photo with mic in her left hand is fake!

Sumit Singh Dixit आपसे ज़्यादा फोटोशॉप और फ्लिप टूल के बारे में बारहवीं पास बच्चा जानता होगा । पत्रकारिता सिखाने वाली यूनिवर्सिटी के आप मुखिया थे, इससे बड़ी त्रासदी क्या होगी । राज्य सरकार को सिर्फ़ इस पोस्ट को आधार बनाकर ना सिर्फ़ आपको जर्नलिज्म में ‘सिफ़र’ ‘निल’ ‘ज़ीरो’ घोषित करना चाहिए, बल्कि आप पर हुए खर्च की रिकवरी होनी चाहिए । आर्थिक लाभ तत्काल प्रभाव से बंद होने चाहिए और नैतिक क्षति की पूर्ति तो आप क्या ही करेंगे ।
युनिवर्सिटी के गेट पर कल जाइए, जो पहला लड़का मिले उससे पूछियेगा कि ‘फ्लिप टूल’ क्या होता है? उम्मीद है बता देगा । ना बता पाया तो आप दोनों आपस में गले मिलकर रो लीजिएगा । हो सकता है भीतर का कीचड़ बह जाए, कुछ आराम मिले ।

Sumit Singh Dixit तस्वीर डीलीट करने से पहले एक बार आइना देख लीजिएगा पूर्व कुलपति जी । आप समय से उपजी त्रासदी हैं, और कुछ नहीं ।

इस तरह से सेकेडों कॉमेंट किए गए है माखनलाल चर्तुेवेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एंव संचार विश्वविद्यायल के पूर्व कुलपति जगदीश उपसाने कर पोस्ट पर। सबसे रोचक यह है कि श्री उपसाने ने पत्रकारिता भी की है। वो भी राष्ट्रीय स्तर की।

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