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भजपा प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा जल्द,23 दिसंबर को बैठक

-मप्र में राकेश सिंह को मिल सकता है दूसरा कार्यकाल, बाकी नेता भी इस पद की दौड़ में

 

 ( कीर्ति राणा )

 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर जगत प्रकाश नड्डा के नाम की घोषणा फरवरी में होना तय है। उससे पहले मप्र सहित सभी राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के निर्वाचन सम्पन्न होना है।23 दिसंबर को राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी राधा मोहन सिंह दिल्ली में बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्षों के निर्वाचन कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर राकेश सिंह को सर्वानुमति बनाकर दूसरी बार अध्यक्ष का दायित्व सौंपे जाने की पूरी संभावना है।इसकी प्रमुख वजह रहेगी अध्यक्ष पद की दावेदारी में लगे नेताओं-उनके गुटों में आपस में पनपने वाली तनातनी को रोकना।
इस पद के दावेदार नेता राकेश सिंह के नाम पर मन मार कर तब ही राजी होंगे जब अमित शाह जब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के माध्यम से इन दावेदार नेताओं को अपनी भावना से अवगत करा दें।संघ का अब ज़्यादा दखल इसलिए भी रहना है कि पंचायतों-स्थानीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। भाजपा के प्रादेशिक नेताओं के बीच अहं की लड़ाई के चलते संघ और भाजपा नेतृत्व नहीं चाहेगा कि जैसे पहले प्रदेश की सत्ता हाथ से फिसल गई फिर वैसे ही हालात बनें।
यदि राकेश सिंह के स्थान पर किसी अन्य नेता को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए उपयुक्त माना भी गया तो दावेदारों में बीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा, अरविंद सिंह भदोरिया, भूपेंद्र सिंह में से किसी पर विचार करने से पहले प्रदेश में ठाकुर-ब्राह्मण समाज संतुलन की भी चिंता की जाएगी। अभी राकेश सिंह अध्यक्ष हैं तो गोपाल भार्गव नेता प्रतिपक्ष हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए बीडी शर्मा या अरविंद भदोरिया संघ की पसंद के रूप में उभरते हैं तो नेता प्रतिपक्ष का पद प्रभावित होना भी तय है। बीडी शर्मा की संभावना बनने पर बहुत संभव है कि शिवराज सिंह दबाव बनाएं कि भूपेंद्र सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए।अरविंद सिंह भदोरिया अध्यक्ष तो नरोत्तम मिश्रा नेता प्रतिपक्ष पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं।उनके समर्थको को भरोसा भी है कि अमित शाह का भी आशीर्वाद मिल जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष पद के दावेदार तो शिवराज सिंह भी हैं लेकिन रमण सिंह और वसुंधरा राजे की तरह भाजपा नेतृत्व उन्हें राष्ट्रीय सदस्यता अभियान समिति का उपाध्यक्ष बनाकर प्रदेश की राजनीति से बेदखल करने का इंतजाम पहले ही कर चुका है। यह बात अलग है कि शिवराज अभी भी मप्र में खुद को पॉवर सेंटर के रूप में दर्शाने में सक्रिय हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष का उनका सपना केंद्रीय नेतृत्व आसानी से पूरा नहीं होने देगा।
— नगर और ग्रामीण अध्यक्ष भी होल्ड पर
प्रदेश के जिन पंद्रह से अधिक जिलों में नगर और ग्रामीण अध्यक्ष के पद होल्ड पर हैं यह घोषणा मलमास समाप्ति के बाद जनवरी के दूसरे सप्ताह तक हो सकती है।

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