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भारतीय खाद्य निगम पर 2 लाख 40 हज़ार करोड़ का कर्जा

 

— चार सालों से नहीं मिली सरकार से सरप्लस सब्सिडी

दिल्ली । केंद्र सरकार के उपक्रम भारतीय खाद्य निगम पर 2 लाख 40 हज़ार करोड़ का कर्जा हो गया है। जिसके कारण अब निगम की अर्थिक स्थिति खाराब होने लगी है। ऐसा इसलिए हुआ कि केद्र सरकार ने बीतें तीन—चार साल में निगम को मिलने वाली सब्सिडी की राशि में बहुत अधिक कटौती की है।

जानकारी के अनुसार भारतीय खाद्य निगम को 2016 से 2019 तक मांग के अनुसार सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा नहीे दी गई है। निगम ने साल 2016-17 में 1 लाख 10 हज़ार करोड़ की मांग के बदले 78000 करोड़ दिए गए। इस साल निगम ने नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड से 32,000 करोड़ का कर्ज लेकर काम चालाया। इसी तरह साल 2017-18 में 1 लाख 17 हज़ार करोड़ की राशि न देकर सरकार ने सिर्फ 62,000 करोड़ ​ही दिए। निगम ने इस साल नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड से 55000 करोड़ कर्जा लिया। इस तरह 2017-18 में 1 लाख 21 हज़ार करोड़ और 2018-19 में 1 लाख 91 हजार करोड़ निगम ने कर्ज के रूप में लिए। भारतीय खाद्य निगम ने अन्य संस्थाओं से भी कर्जा लिया है। कुल मिलाकर इस समय निगत पर तीन लाख करोड़ का बकाया है। कुल कर्जा में से निगम को वित्तीय वर्ष 2019-20 में 46000 करोड़ का कर्जा देना ही होगा। इस समय निगम इस स्थिति में नहीं है।

भारतीय खाद्य निगम सरकार के आदेश के अनुसार चावल 3 रुपया प्रति किलो और गेहूं 2 रुपया प्रति किलो सहकारी राशन दुकानों को मुहैया करवाता है। जबकि निगम इस अनाज को बजार मुल्य पर खरीदता है। ऐसे में सरकार सालों से निगम को सब्सिडी राशि देती हैं जिससे निगम को होने वाले नुकसान की भारपाई होती है। केंद्र सरकार निगम को एक किलो चावल की 30 रुपये और गेहूं की 22.45 रुपये सब्सिडी देती है। बीते चार सालों में सरकार ने मांगी के अनुसार निगम को सब्सिडी नहीं दी और निगम कर्जा लेकर अनाज खरीदता रहा। अब अगर निगम कर्जा नही देगा तो आने वाले समय में वह अनाज की खरीदी नही कर सकेंगा।

 

 

नोट— इस खबर के अकांडे बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित संजीब मुखर्जी की रिपोर्ट से लिए गए है। इस खबर पर एनडीटीव्ही के वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने भी लेख लिखा है। उनके लेख से भी जानकारी ली गई है।

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