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मप्र के छोटे से गांव भोजनगर की मेघा परमार ने माउंट एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा

मप्र। प्रदेश के सीहोर के छोटे से गांव भोज नगर की  मेघा परमार ने 22 मई 2019 को प्रातः 05.00 बजे सागरमाथा कहे जाने वाले विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत ’’माउंट एवरेस्ट’’  29,028 फीट (8848 मीटर) को फतेह किया। मेघा ने अपना सफर 05 अप्रैल 2019 को भोपाल से रवाना होकर रात काठमांडू पंहुचकर प्रारम्भ किया। 08 अप्रैल 2019 को लूक्ला पंहुची, 09 अप्रैल को लुक्ला पंहुच कर अपना ट्रैक प्रारम्भ किया। लुक्ला से नामचे, 11 अप्रैल को टेंगबोच, डिंगबोच, लबुचे, बोरखाशेप होते हुये 15 अप्रैल को काला पत्थर एवं एवरेस्ट बेस कैम्प पंहुचे। ऐवरेस्ट बेस केम्प के आसपास प्रतिदिन ट्रेक करते अभ्यास किया।
12 मई 2019 को फाईनल सम्मीट के लिये बैस केम्प से चढाई प्रारम्भ की। 20 मई 2019 को कैम्प फोर पंहुचकर अन्तिम सम्मीट (शिखर 05) पर देर रात प्रस्थान करने की योजना टीम द्वारा बनायी गई, परन्तु अत्यधिक मौसम खराब होने के कारण उस दिन टीम प्रस्थान नहीं कर सकी। 20 मई 2019 को रात्रि 09.00 बजे कैम्प फोर से अन्तिम सम्मीट हेतु प्रस्थान किया गया। रातभर ट्रैक के पश्चात् 22 मई 2019 को प्रातः 05.00 बजे ’’माउंट एवरेस्ट’’ शिखर पर पंहुच कर सागर माथा पर्वत को फतेह किया।
टीम के अन्य 03 सदस्य घायल एवं बीमार होने के कारण अन्तिम सम्मीट नहीं कर सके। मेघा के साथ सतना मध्य प्रदेश के श्री रत्नेश पाण्डे, 02 पर्वतारोहियों को रेस्क्यु करने के कारण उनकी ऑक्सीजन खत्म होने से सम्मीट नहीं कर सकें ।
आधे घण्टे शिखर पर रूकने के पश्चात् वापस लौटते समय कैम्प फोर के नजदीक मेघा के शेरपा को फॉस व्हाईट होने के कारण वे भी बीमार हो गयें, मेघा अकेली कैम्प थ्री 22 मई की शाम लगभग 07.00 बजे पहुंची व 23 मई की रात्रि तक कैम्प थ्री में ही रहने के पश्चात् रात्रि ट्रैक कर 24 मई 2019 को प्रातः 05.00 बजे कैम्प टू पहुंची। मेघा का भी स्वास्थ्य गडबडाया, उन्हें 24 मई को लुक्ला हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार के पश्चात् कांठमांडू रेस्क्यु कर पहुंचाया गया । ज़िद थी कि शिखर पर पहुँचकर सपना साकार करना है
इससे पहले 2018 में मन में ठान कर माउंट एवेरेस्ट फ़तेह करने निकली पर प्रकति को शायद उसकी और परिक्षा लेनी थी| 8100 मीटर तक पंहुचने के बाद ऑक्सीजन मास्क से अभ्यस्त न होने के कारण  उसे ऊपर जाने से रोक दिया| हालात कदम तो रोक सकता था पर हौसले नहीं| मेघा ने हार नहीं मानी और दुबारा पूरी शक्ति से अपना प्रशिक्षण शुरू कर दिया| इस बीच ट्रेनिंग के लिए फिर मनाली गई जहाँ प्रशिक्षण के दौरान ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी तीन जगह से टूट गई| हड्डी तो टूट गई पर हौसले कहाँ टूटने वाले थे| डॉक्टर ने पहाड़ चढ़ने से मना कर दिया था पर लगन से लगकर अपने स्वास्थ में पूरी तरह सुधार कर 2019 में दुबारा चढ़ाई शुरू की और 22 मई की सुबह 5 बजे माउंट एवेरेस्ट फ़तेह कर बन गई मध्य प्रदेश की पहली महिला| वहीँ इसी दिन मध्य प्रदेश की लाड़ली भावना डेहरिया ने भी एवेरेस्ट फ़तेह कर प्रदेश को गौरवान्वित किया|
वहीँ इनके मार्गदर्शक रत्नेश पाण्डेय को उनकी ऑक्सीजन मास्क में ख़राबी की वज़ह से एवेरेस्ट शिखर को 300 मीटर नीचे से छोड़ना पड़ा| रत्नेश पाण्डेय एवेरेस्ट फ़तेह करने में तो सफल नहीं हुए पर दो नई जिंदगी देने में ज़रूर सफ़ल हुए| वापस आते हुए कैंप 4 से आते वक़्त अपने दो साथियों की जान बचाई|

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