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रेल मंत्रालय वर्ष 2018 को ‘वुमेन एंड चाइल्ड सेफ्टी वर्ष’ के रूप में मना रहा
ट्रेनों में महिलाओं के साथ छेड़खानी और अन्य परेशानियों के तुरंत समाधान के लिए रेल मंत्रालय नया कदम उठाने जा रहा है। अब ट्रेन के हर डिब्बे में एक ‘पैनिक बटन’ लगाया जाएगा जिसे संकट के समय में दबाने पर डिब्बे में ही उन्हें तत्काल मदद मुहैया कराई जाएगी।
इसके अलावा जिन ट्रेनों में महिलाओं के लिए विशेष कोच होते हैं उन्हें ट्रेन के अन्य डिब्बों के रंग से अलग रंग में पेंट करवाया जाएगा तथा उन्हें ट्रेन के बीच में लगाया जाएगा। गौरतलब है कि रेल मंत्रालय वर्ष 2018 को ‘वुमेन एंड चाइल्ड सेफ्टी वर्ष’ के रूप में मना रहा है।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने बताया कि ट्रेनों में महिलाओं के साथ छेड़खानी तथा अन्य तरह की परेशानियां अक्सर होती हैं। इसे देखते हुए रेलवे प्रशासन उनकी सुरक्षा के कदम उठा रहा है ताकि ट्रेनों में वे सुरक्षित सफर कर सकें। इसी कड़ी में पूर्वोत्तर रेलवे ट्रेनों में ‘पैनिक बटन’ लगाने की योजना पर कार्य कर रहा है।
उन्होंने बताया कि यह ‘पैनिक बटन’ दबाते ही ट्रेन के गार्ड को तुरंत पता चल जाएगा कि ट्रेन के किस डिब्बे में महिला परेशानी में है। गार्ड ट्रेन में मौजूद, एस्कॉर्ट करने वाले जवान और टीटीई को वॉकीटॉकी के जरिए सूचित करेगा। जवान तुरंत सभी डिब्बों में जाकर पता करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
सीपीआरओ यादव ने बताया कि चूंकि वर्ष 2018 को भारतीय रेल ‘वुमेन एंड चाइल्ड सेफ्टी वर्ष’ के रूप में मना रही है इसलिए इस वर्ष महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए रेलवे की कई नई योजनाओं पर काम हो रहा है। महिला यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से आपात स्थिति में रनिंग स्टॉफ को चौकस करने के लिए ‘पैनिक बटन’ प्रणाली शुरू करने की कवायद चल रही है।
यादव ने बताया कि आपात स्थिति में महिला यात्री अलार्म चेन के पास लगे बटन को दबा सकती है। इसमें गार्ड के अलावा कोच के बाहर उपलब्ध फ्लैशर इकाइयों पर ऑडियो विजुअल
संकेत भी मिलेगा। ट्रेन को एस्कॉर्ट करने वाली टीम भी तत्काल सतर्क हो जाएगी। संकेत के आधार पर टीम पीड़ित यात्री के पास तुरंत पहुंच जाएगी।
संकेत भी मिलेगा। ट्रेन को एस्कॉर्ट करने वाली टीम भी तत्काल सतर्क हो जाएगी। संकेत के आधार पर टीम पीड़ित यात्री के पास तुरंत पहुंच जाएगी।
उन्होंने बताया कि अभी तक ट्रेन में सफर करने वाली महिलाओं को आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबर या एसएमएस का सहारा लेना पड़ता है या फिर चेन खींचनी पड़ती है। फिर पीड़ित तक पहुंचने में रनिंग स्टाफ को बहुत समय लग जाता है। ऐसे में अपराधी भागने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन अब नई सुरक्षा प्रणाली से ऐसा नहीं होगा।