देश में महिला सरपंचो के हाल नहीं बदले, अब भी पति ही करते हैं सरपंची
— कुर्सी पर पति और घूंघट में बैठी रही महिला सरपंच
देश में महिलाओं की स्थति बदली नहीं है, घर के काम करने के अलावा उन्हें अब तक किसी काम का नहीं समझा जाता है। राजनीति मे भले ही 33 फीसदी आरक्षण दिया हो लेकिन अब तक यह महिला जनप्रतिनिधि रबर स्टेप से ज्यादा कुछ नहीं है। हाल मध्यपद्रेश में ग्राम सभाओं का आयोजन किया गया। इसके आदेश शासन ने जारी किए थे। जब ग्राम सभा हुई तो उसमें महिला सरपंच की जगह उनके पति कुर्सी पर बैठे और कुछ जगह महिला सरपंचो को कुर्सी पर बिठा भी दिया गया तो उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी गई।
महिला सरपंचो को ग्राम सभाओं या बैठकों में शामिल होने की इजाजत उनके पति नहीं देते है, निर्वाचन के बाद वे चुल्हे चौका के काम में व्यस्त रहती है, उन्हें पता ही नहीं होता कि उनलके नाम पर पंचायत कार्यालय में क्या हो रहा है, यह तक कि उनके हस्ताक्षर या अगुंठा का निशान भी सरपंच पति ही लगाते है। अधिकांश पांचायतों में महिला सरपंच पांच साल के कार्यकाल के दौरान गांव को देखते तक घर से नहीं निकली, उन्हें सिर्फ महिला सीट होने के कारण चुनाव लडाया गया और जीतने के बाद सरपंची उनके परिवार के पुरूष करते है।
— अधिकारी भी सरपंच पति से करते है बात
पंचायत विभाग के अधिकारी भी महिला सरपंचों को तवज्जो नहीं देते वे सरपंच पति से ही बात करते और उनको पंचायत का कार्य बाताते है, उनके कहने पर पंचायत में कार्य होते है। यह किसी एक राज्य का हाल नहीं है बल्कि सभी राज्यो में महिला सरपंचों को यही हाल है,कुछ राज्यों में एक— दो महिला संरपचों ने तस्वीर बदली हैै।
— दो तस्वीरें जो बयां करती है महिला सरपंचों की स्थिति
यह दो तस्वीरें है मध्यप्रदेश के मुख्यम़ंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की। 14 अप्रैल को सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा का आयोजन किया गया। इसमें महिला सरपंच के स्थान पर उनका पति सरचंच की कुसी पर बैठा और ग्राम सभा की प्रक्रिया पूर्ण की और दूसरी तस्वीर में महिला सरपंच लंबा घुघट किए चुपचाप बैठी है।
—यह दो तस्वीरें सच बोल रही है…
तस्वीर एक— सीहोर जिले की पिपलियामरी ग्रापं में ग्राम सभा के दौरान घूघट में बैठी महिला सरपंच
तस्वीर — 2 सीहोर जिले की ग्राम पंचायत अल्हादाखेड़ी में महिला सरपंच पति अधिकृत सरपंच कुर्सी पर बैठकर